बूँद-बूँद पानी को तरसते रहे हैं दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों के लोग
बूँद-बूँद पानी को तरसते रहे हैं दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों के लोग

बूँद-बूँद पानी को तरसते रहे हैं दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियों के लोग

नई दिल्ली, 16 जुलाई(हि.स.)। 'पानी माफ, बिजली बिल हाफ' का नारा देकर दिल्ली की सत्ता में आई आम आदमी पार्टी के राज में अनधिकृत कॉलोनियों में रहने बाले गरीब बूँद-बूँद पानी को तरस रहे हैं। गरीबों को पानी के लिए हज़ारों रुपये महीने खर्च करने पडं रहे हैं। जुलाई के महीने में भी दक्षिणी दिल्ली के मोलरबन्द, संगम विहार गोविंदपुरी जैसे कई इलाके हैं, जहां पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है। पानी लेने के लिए लोगों को टैंकर का इंतजार करना पड़ता है। जैसे ही टैंकर आता है वहां पर भारी भीड़ लगने से 'दो गज की दूरी' की भी धज्जियां उड़ जाती हैं। दक्षिणी दिल्ली के संगम विहार एल-1में रहने वाले ओमकार सिंह ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि हमारे ब्लॉक में एक सरकारी ट्यूबेल है जिससे बारी बारी से घरों को पानी दिया जाता है, 10 से 15 दिन में नंबर आता है। जिसे घरों में बने टैंकरों में जमा करते हैं। नहीं तो चार-चार परिवार मिलकर पानी का टैंकर मगवाते हैं। पहले एक टैंकर के 800 रुपये देने पड़ते थे। जिससे चार घरों को हज़ार-हज़ार लीटर पानी मिल जाता था। अब पिछले छह: महीने से जब से आम आदमी पार्टी का एक विधायक पानी घोटाले में पकड़ा गया है तब से टैंकर वालों पर कुछ कड़ाई हुई है। अब टैंकर वाले चार घरों से 200 रुपये लेते हैं, लेकिन पानी 900-900 लीटर ही देते हैंं। संगम विहार में टैंकर माफिया सरकार की मिलीभगत से खूब पैसे बना रहे हैं। यहाँ पीने के लिए हमें बोतल का पानी लेना पड़ता है। कभी-कभी तो कपड़े धोने के लिए भी बोतलें मगवानी पड़ती हैं। पानी का महीने का दो हज़ार से ऊपर का खर्चा है। गरीब आदमी कहाँ से लेकर आएगा? दक्षिणी दिल्ली के बदरपुर मोलरबन्द सरस्वती पार्क के पास रहने वाले दीनदयाल ध्यानी और गली नंबर 65 में रहने वाले कुंदन ने भी पानी की समस्या बताई। उनके यहां पाइपलाइन से दो दिन में एक बार पानी आता है। लोग अधिकतर टैंकर से पानी मगवाते हैं। यहां टैंकर आते ही लोगों की भीड़ लग जाती है। पानी भरने को लेकर होने बाले झगड़े यहां आम बात हैं। कुंदन ने बताया कि यहां टैंकर वाला कोई भी पैसे नहीं लेता। जब भी टैंकर आता है तो वो हमसे हस्ताक्षर करवाता है। पानी सब को फ्री मिलता है। लेकिन हम लोगों को पीने के लिए बोतले खरीदनी पड़ती हैं। जिससे हज़ारो रुपये का महीने का खर्च है। उल्लेखनीय है कि दो साल पहले राष्ट्रीय राजधानी के वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में पानी भरने को लेकर हिंसक झड़प में एक बुजुर्ग की बेरहमी से पीटकर हत्या कर दी गई थी। उसका बेटा भी गंभीर रूप से जख्मी हो गया था और कुछ दिन बाद उसने भी दम तोड़ दिया था। इसके बाद भी इस इलाकेे में समस्या जस की तस बनी हुई है। हिन्दुस्थान समाचार/ रतन सिंह-hindusthansamachar.in

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