पराली के मुद्दे पर केजरीवाल ने प्रकाश जावड़ेकर को लिखा पत्र
पराली के मुद्दे पर केजरीवाल ने प्रकाश जावड़ेकर को लिखा पत्र

पराली के मुद्दे पर केजरीवाल ने प्रकाश जावड़ेकर को लिखा पत्र

नई दिल्ली, 26 सितम्बर (हि.स.)। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को पर्यावरण, वन एंव जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पराली जलाने के मुद्दे पर पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में दिल्ली और आस-पास के राज्यों में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा विकसित तकनीक के उपयोग का जिक्र किया है। केजरीवाल ने कहा कि आईएआरआई के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा रसायन विकसित किया है जो पराली को (खेतों में ही) सड़ा-गला देता है और इसे खाद में तब्दील कर देता है। किसानों को पराली जलाने की कोई जरूरत नहीं है। संस्थान के विशेषज्ञों ने जो रसायन विकसित किया है उसे ‘अपघटक कैप्सूल’ नाम दिया है। 25 लीटर घोल तैयार करने के लिये महज चार कैप्सूल का उपयोग किया जा सकता है। इसमें कुछ गुड़ और चने का आटा मिला कर, बनाए गए घोल का एक हेक्टेयर जमीन पर छिड़काव किया जा सकता है। पत्र में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने कहा कि पराली जलाने से मिट्टी की उर्वरता घट जाती है क्योंकि इससे उसमें मौजूद जीवाणु मर जाते हैं लेकिन यदि फसल अवशेष को खाद में तब्दील कर दिया जाए तो यह उर्वरक के उपयोग में कमी ला सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पद्धति पराली जलाये जाने की समस्या का एक अच्छा समाधान हो सकता है और शहर की सरकार इसका बड़े पैमाने पर उपयोग करने जा रही है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि राष्ट्रीय राजधानी में पराली बिल्कुल नहीं जलाई जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों को भी इसके यथासंभव उपयोग के लिये प्रोत्साहित करना चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि ऐसे काफी किसान हैं जिनके पास फसल अवशेष (पराली) का प्रबंधन करने के लिये मशीन नहीं है, इसलिये वे इसे जला देते हैं। यह पद्धति (अपघटक कैप्सूल) उर्वरक के उपयोग को घटा सकती है और फसल उत्पादन बढ़ा सकती है। मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिये केंद्रीय मंत्री से समय भी मांगा। उल्लेखनीय है कि अक्टूबर-नवंबर महीने में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसान खेतों में बड़े पैमाने पर पराली जलाते है। इससे दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण काफी बढ़ जाता है। हिन्दुस्थान समाचार /प्रतीक खरे-hindusthansamachar.in

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