दिल्ली के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स तय नियमों का पालन सुनिश्चित करेंः एनजीटी
दिल्ली के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स तय नियमों का पालन सुनिश्चित करेंः एनजीटी

दिल्ली के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स तय नियमों का पालन सुनिश्चित करेंः एनजीटी

नई दिल्ली, 13 नवम्बर (हि.स.)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को निर्देश दिया है कि वो गाजीपुर, नरेला और बवाना के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स में पर्यावरण नियमों का पालन करने के लिए जारी दिशानिर्देशों का पालन करना सुनिश्चित करें। जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर ये प्लांट्स पर्यावरण नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। एनजीटी ने तीनों वेस्ट टू एनर्जी प्लांट्स की जांच के लिए 28 अप्रैल, 2018 को एक संयुक्त कमेटी का गठन किया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की इस संयुक्त कमेटी ने पिछले 24 सितंबर को अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी। एनजीटी ने बवाना वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का निरीक्षण 25-26 फरवरी को निरीक्षण किया। कमेटी ने पाया कि बवाना प्लांट को 22 फरवरी 2017 को दो हजार टन सॉलिड वेस्ट के निस्तारण और 24 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की अनुमति दी गई थी। कमेटी ने पाया कि प्लांट अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहा है। हालांकि इस प्लांट में जितना कचरे का निस्तारण हो रहा है उसके मुकाबले बिजली का उत्पादन नहीं हो रहा है। कमेटी ने पाया कि पीएम 2.5 और पीएम 10 तय मात्रा के ज्यादा है। फ्लाई ऐश में भी कैडमियम की मात्रा तय मानक से ज्यादा थी। कमेटी ने गाजीपुर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का निरीक्षण करने के बाद पाया कि गाजीपुर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट को 8 दिसंबर 2018 तचक चलाने की अनुमति दी गई थी। प्लांट ने चलाने की अनुमति बढ़ाने के लिए आवेदन दे रखा है। कमेटी ने पाया कि प्लांट पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर रहा है। प्लांट को 1300 टन की बजाय 5 मार्च को 301 टन जबकि 6 मार्च को 228 टन की ठोस कचरा मिला। इस प्लांट में 0.01 से 7.94 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हुआ जबकि इस प्लांट की बिजली बनाने की क्षमता 12 मेगावाट है। कमेटी ने पाया कि वायु गुणवत्ता की स्थिति संतोषजनक थी लेकिन प्लांट ने ठोस कचरे से लदे ट्रक में रेडियोएक्टिव सेंसर नहीं लगाए गए थे। फ्लाई ऐश में कैडमियम की मात्रा तय मात्रा से ज्यादा थी। कमेटी ने ओखला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का निरीक्षण करने के बाद पाया कि इसे 27 सितंबर, 2024 तक चलाने की अनुमति है। यहां कचरा अलग करने का सिस्टम संतोषजनक था। कमेटी ने पाया कि पीएम 2.5 की मात्रा तय मात्रा से ज्यादा थी। यहां वायु गुणवत्ता को मापने का मानिटरिंग स्टेशन अभी तक नहीं लगाया गया है। इस प्लांट में धूल को बैठाने के लिए पानी का छिड़काव करने के लिए मशीन लगाई गई है। इस प्लांट के परिसर में पेड़-पौधों का अच्छा प्रबंधन किया गया है। हिन्दुस्थान समाचार/संजय-hindusthansamachar.in

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