एमसीडी ने बिना नोटिस दिए कारगिल सोसायटी में दुकानों को तोड़ा : कैप्टन शालिनी
एमसीडी ने बिना नोटिस दिए कारगिल सोसायटी में दुकानों को तोड़ा : कैप्टन शालिनी

एमसीडी ने बिना नोटिस दिए कारगिल सोसायटी में दुकानों को तोड़ा : कैप्टन शालिनी

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (हि. स.)। आम आदमी पार्टी की नेता कैप्टन शालिनी सिंह ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर आरोप लगाया कि उसने बिना नोटिस दिए द्वारका स्थित कारगिल सोसायटी में आवश्यक वस्तुओं की दुकानों को ध्वस्त कर दिया है। इस सोसायटी में सेवानिवृत्त और दिवंगत सेना अधिकारियों के परिवार रहते हैं। कैप्टन शालिनी सिंह शहीद मेजर अविनाश की पत्नी है। कैप्टन शालिनी सिंह ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमारी सोसायटी में राशन, सब्जी और दूध की कुछ दुकानें हैं। कल नगर निगम के कुछ कर्मचारी एसटीएफ के साथ हमारी सोसायटी में घुसे। उन्होंने बिना कुछ बताए इन दुकानों में तोड़फोड़ शुरू कर दी। दुकानों का सामान फेंकना शुरू कर दिया। इस ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर सवाल उठाने पर एमसीडी के अधिकारियों ने सोसायटी के निवासियों के साथ दुर्व्यवहार किया और जेल में डालने तक की धमकी दी। उन्होंने कहा कि दिवंगत सेना अधिकारियों के परिजनों ने ध्वस्त दुकानों को तत्काल ठीक कराने और इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। शौर्य चक्र से सम्मानित शहीद मेजर दीपक रावत की पत्नी अन्जू रावत ने कहा कि हम द्वारका की कारगिल सोसायटी में रहते हैं, जो 2003 में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने शहीदों के परिजनों को दी थी। हमें मकान की चाबी देते हुए कहा गया था कि आप शहीदों के परिवार यहां पर आइए, हम आपको सभी दैनिक सुविधाएं देंगे और आपका पूरा ख्याल रखेंगे। उस समय हम लोगों को एक आशा की किरण नजर आई थी कि हमारा देश हमारे साथ है। आज 17 साल बाद हम अपना अनुभव आप लोगों के साथ साझा करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कारगिल सोसायटी में 414 फ्लैट हैं, जिनमें एनसीओ, जेसीओ, ओआर और अधिकारियों के परिजन रहते हैं। हम लोग 17 साल से वहां रह रहे हैं, लेकिन अब धीरे-धीरे एक-एक कर शहीदों के परिवार वाले उस सोसायटी को छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। उसका सबसे बड़ा उदाहरण मैं खुद हूं। मुझे 2018 में उस सोसायटी को छोड़ना पड़ा। अब कारगिल सोसायटी में काफी सारे शक्तिशाली लोग आकर बस गए हैं, उनके बड़े-बड़े लोगों के साथ संबंध हैं। वो लोग हमें मजबूर करते हैं कि हम कोड़ियों के दाम में अपने घर बेच दें और वहां से चले जाएं। अगर हम वहां पर हो रही किसी भी गलत गतिविधि के खिलाफ आवाज उठाते हैं तो हमें गलत मुकदमों में फंसा दिया जाता है। हिन्दुस्थान समाचार /प्रतीक / वीरेन्द्र-hindusthansamachar.in

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