सड़क से कोर्ट तक नई आबकारी नीति का करेंगे विरोध: वीके. जाटव

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नई दिल्ली, 19 जून (हि.स.)। दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति की राह मुश्किलों भरी होने वाली हैं। दिल्ली सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति ओबीसी कर्मचारी परिसंघ नई आबकारी नीति का सड़क से लेकर न्यायालय तक पुरजोर विरोध करने का मन बना चुका है। दिल्ली परिसंघ जल्द ही बड़े आन्दोलन का आगाज़ करके नई आबकारी नीति का योजनाबद्ध तरीके के विरोध करेगा। यह जानकारी दिल्ली परिसंघ के संयोजक वीके. जाटव ने एक प्रेसवार्ता के दौरान शनिवार को दी। इस प्रेस वार्ता में परिसंघ पदाधिकारियों के अलावा 600 शराब की दुकानों को चला रहे चारों निगमों के कर्मचारी प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। जाटव ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति को हर तरह से नुकसानदेह बताया और कहा कि दिल्ली सरकार यदि नई नीति को लागू करती है तो ये न केवल निगम कर्मियों बल्कि पूरी दिल्ली के लिए घातक साबित होगा। दिल्ली में 600 दुकानें सरकारी हैं और हर वर्ष 5 फीसद की बढ़ोतरी के साथ सरकार को हजारों करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है इसीलिए अपने कर्मठ कर्मचारियों की निष्ठा पर शक ना किया जाए। इस विषय में परिसंघ के दूसरे नेताओं ने भी अपनी समस्या सामने रखी। जिसमें उनका मानना है कि करोना संकट की वजह से दिल्लीवासी पहले ही भारी दिक्कत में हैं और यदि इन हजारों कर्मचारियों की नौकरियां नहीं रही तो इनके परिवार भुखमरी की कगार पर आ जायेंगे जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी। अगर सरकार मानती है कि दिल्ली में 2000 ठिकानों से शराब की अवैध बिक्री होती है तो सरकार, अपने कर्मचारियों को ही कटघरे में खड़ा करने की बजाय डीएम, एसडीएम और दिल्ली पुलिस के ज़रिये कठोर कार्रवाई करें। इस व्यापक निजीकरण नीति के कारण निगमों में तालाबंदी का संकट आ जाएगा क्योंकि आर्थिक रूप से चरमराई व्यवस्था में ये निगम अपने कर्मचारियों को तनख्वाह तक नहीं दे पाएंगे। ऐसी स्थिति में इन चारों निगमों को बंद करना पड़ेगा। कर्मचारी प्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि वर्तमान नीति के तहत सरकार शराब की बिक्री के माध्यम से इन निगमों का आर्थिक सुदृढ़ीकरण करती आई है। अतः इन विभागों में इन कर्मचारियों को वेतन, मेडिकल फैसिलिटी एवम अन्य सुविधाएं दी जाती हैं। इस नई नीति से उत्पन्न आर्थिक संकट के कारण इनके वेतन पर भी असर पड़ेगा और मेडिकल सुविधा भी समाप्त की जा सकती हैं। हिन्दुस्थान समाचार/श्वेतांक

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