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टॉप कॉप कही जाने वाली दिल्ली पुलिस में पदोन्नति की रफ्तार बेहद धीमी!

नई दिल्ली, 28 फरवरी (हि.स.)। देश की सबसे स्मार्ट व टॉप कॉप कही जाने वाली दिल्ली पुलिस में पदोन्नति की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है। वर्ष 1990 में भर्ती हुए सब इंस्पेक्टर अभी तक केवल एक पदोन्नति पाकर इंस्पेक्टर ही बने हुए हैं। लंबे समय से वह एसीपी बनाये जाने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन काफी समय से यह मामला लटका हुआ है। ऐसे में दिल्ली पुलिस महासंघ ने गृह मंत्रालय व पुलिस कमिश्नर से मांग की है कि इन्हें जल्द पदोन्नति दी जाए। जानकारी के अनुसार, दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती होने वाले अधिकांश पुलिसकर्मियों को करियर में दो पदोन्नति मिलती है। पहली पदोन्नति में उन्हें सब इंस्पेक्टर से इंस्पेक्टर बनाया जाता है। दूसरी पदोन्नति देकर एसीपी बनाया जाता है। कई बार इंस्पेक्टर से एसीपी बनाने का समय इतना लंबा हो जाता है कि कुछ पुलिसकर्मी इंस्पेक्टर पद से ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। सबसे अहम बात यह है कि इस पदोन्नति से उनके वेतन पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता। इस पदोन्नति से वह गजेटेड अफसर बन जाते हैं। 13 साल से बने हुए हैं इंस्पेक्टर दिल्ली पुलिस महासंघ के अध्यक्ष वेदभूषण ने रविवार को जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 1990 में भर्ती हुए सब इंस्पेक्टर को 17 साल बाद वर्ष 2007 में पहली पदोन्नति देकर इंस्पेक्टर बनाया गया था। इसके बाद से वह इंस्पेक्टर ही बने हुए हैं। 30 साल से नौकरी कर रहे यह पुलिसकर्मी अब भी इंस्पेक्टर के पद पर ही पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि यह पुलिसकर्मी एसीपी के पद का वेतन ले रहे हैं, लेकिन उन्हें एसीपी नहीं बनाया गया है। उपराज्यपाल निवास में 134 इंसपेक्टर की पदोन्नति के लिए लिस्ट भेजे काफी समय हो गया है। इसे अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है। उन्होंने उपराज्यपाल और गृह मंत्रालय से मांग की है कि वह इन पुलिसकर्मियों को जल्द पदोन्नति दें, ताकि वह अच्छे से काम कर सकें। पदोन्नति के लिए सीट प्रतिशत बढ़ाने की मांग वहीं वेदभूषण ने मांग की है कि दिल्ली पुलिस में सीधे एसीपी भर्ती होने के पदों की संख्या को कम किया जाए, ताकि अधिक पुलिसकर्मियों को पदोन्नति मिल सके। अभी 50 फीसदी एसीपी के पदों पर सीधे भर्ती होती है, जबकि 50 फीसदी पर पदोन्नति के जरिये एसीपी बनाये जाते हैं। ऐसा देखने में आता है कि सीधे भर्ती होने वाले कई एसीपी बाद में नौकरी छोड़कर चले जाते हैं। ऐसे में उन्होंने 80 फीसदी पदों को पदोन्नति से, जबकि 20 फीसदी पदों को सीधे भर्ती के जरिए भरने की मांग की है। हिन्दुस्थान समाचार/अश्वनी

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