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नगर निगम उपचुनाव में तबलीगी जमात मरकज का मुद्दा गरमाया

-सीलमपुर के चौहान बांगर वार्ड में होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस और आप में पोस्टर वार नई दिल्ली, 04 फरवरी (हि.स)। राजधानी दिल्ली में दिल्ली नगर के पांच निगम वार्डों में उपचुनाव होने जा रहे हैं। इन उप चुनावों के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 8 फरवरी तय की गई है लेकिन इस चुनाव में सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र का चौहान बांगर वार्ड-41 ई-काफी चर्चा में है। इस वार्ड में राजनीतिक दलों ने पोस्टर वार छेड़ दिया और पूरा इलाका पोस्टर से पाट दिया है। यहां पर स्थानीय मुद्दों के बजाय निजामुद्दीन स्थित मरकज तबलीगी जमात को चुनावी मुद्दा बनाया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार पूर्व विधायक चौधरी मतीन अहमद के बेटे जुबेर अहमद के जरिए इलाके में पोस्टर लगाया गया है जिसमें दावा किया गया है कि जब मंदिर-मस्जिद, शराबखाने और स्कूल खुल गए हैं तो मरकज में ताला क्यों लगा है? इसके जवाब में वर्तमान विधायक अब्दुल रहमान ने भी एक पोस्टर लगाया है जिसमें दावा किया गया है कि मरकज का ताला खुला हुआ है और मौलाना साद वहां पर अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। हालांकि अभी आम आदमी पार्टी की तरफ से वार्ड के लिए अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि यहां से आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक हाजी इशराक अहमद को पार्टी चुनाव लड़ाने का मन बना चुकी है। चुनाव में स्थानीय मुद्दों को दरकिनार कर मरकज हजरत निजामुद्दीन का मुद्दा बनाए जाने से स्थानीय नागरिकों में नाराजगी भी है। सीलमपुर विधानसभा क्षेत्र का चौहान बांगर वार्ड मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है। इसलिए यहां मुख्य रूप से मुकाबला कांग्रेस और आप में ही है। विधायक अब्दुल रहमान उपचुनाव में अपनी साख को बचाने के लिए दिन रात एक किए हुए हैं तो कांग्रेस पार्टी अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस पाने के लिए छटपटा रही है। कांग्रेस के जरिए मरकज निजामुद्दीन को मुद्दा बनाकर मुस्लिमों में अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश की जा रही है। वहीं आप भी इसी मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रही है। यह बात सच है कि मरकज के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुसलमान नाराज़ हैं। उनका मानना है कि दिल्ली में कोरोनाकाल में मरकज को बिना वजह घसीटा गया जिससे पूरे देश में मुसलमानों को अपमान झेलना पड़ा है। अब आम आदमी पार्टी की तरफ से इस मामले में सफाई देने और इस पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है। पिछले साल उत्तर पूर्वी जिला में होने वाले साम्प्रदायिक दंगे को लेकर भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भूमिका पर सवाल उठाया जा रहा है। मुसलमानों का आरोप है कि तीन दिनों तक यहां होने वाली हिंसा की वारदात के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुप्पी क्यों साधे रखी थी? इस दंगों को लेकर भी मुसलमानों में उनके और उनकी सरकार के प्रति अभी तक रोष पाया जा रहा है। हालांकि बाद में दिल्ली सरकार की तरफ से जख्मों पर मरहम लगाने का प्रयास किया गया मगर उसका कोई फायदा मुसलमानों में नजर नहीं आ रहा है। अब चौहान बांगर के उपचुनाव में दंगे और मरकज को लेकर मुख्यमंत्री की भूमिका को हवा देकर कांग्रेस पार्टी के जरिए राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास किया जा रहा है। हिन्दुस्थान समाचार/एम. ओवैस-hindusthansamachar.in

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