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‘नवजीवन कार्यक्रम’ के तहत पुलिस ने बच्चों को खोजा

नई दिल्ली, 20 फरवरी (हि.स.)। राजधानी दिल्ली से खोने वाले बच्चों को तलाशने के लिए पुलिस द्वारा चलाये जा रहे अभियान का बड़ा असर देखने को मिला है। बीते अगस्त माह से हुई इस शुरुआत के बाद से 103 फीसदी बच्चों को तलाशने में पुलिस कामयाब रही है। वहीं उक्त मामले को पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने इसे बहुत संतोषजनक काम बताया है। पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव द्वारा बीते अगस्त माह में ‘नवजीवन कार्यक्रम’ चलाया गया। इसके तहत पुलिसकर्मियों को लापता हुए अधिक से अधिक बच्चों को तलाशने के लिए प्रेरित किया गया। इसके लिए उन्हें पुलिस कमिश्नर की तरफ से इनाम देने की भी घोषणा की गई। उन्होंने कहा कि एक साल में 15 बच्चों को तलाशने पर असाधारण कार्य पुरस्कार दिया जाएगा। एक साल में 50 गुमशुदा बच्चों को तलाशने पर उन्हें बारी से पहले पदोन्नति दी जाएगी। इसका बड़ा असर हुआ और पुलिसकर्मियों ने बच्चों की तलाश कड़ी मेहनत से करनी शुरू की। दो लोगों को मिली बारी से पहले पदोन्नति पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस कार्यक्रम के तहत समयपुर बादली थाने में तैनात महिला पुलिसकर्मी सीमा ढाका ने महज ढाई महीने में 76 बच्चों को तलाशकर उन्हें परिवार से मिलवाया। उसके इस बेहतरीन काम के लिए पुलिस कमिश्नर एसएन ने बारी से पहले तरक्की देकर हवलदार सीमा को एएसआई बना दिया। इसी तरह बच्चों को तलाशने वाले क्राइम ब्रांच के एक पुलिसकर्मी को भी बारी से पहले पदोन्नति मिल चुकी है। उम्र गुमशुदा बच्चे मिले बच्चे 8 वर्ष 328 226 8-12 वर्ष 385 308 12-18 वर्ष 3584 2723 बच्चों के लापता होने की प्रमुख वजह रास्ता भूलने के चलते, पढ़ाई को लेकर परिजनों का दबाव, परिजनों द्वारा अश्लील बर्ताव, दोस्त के बहकावे में आकर, घर छोड़कर भागने के चलते, अपनी मर्जी से चले गए, पारिवारिक हालात आदि। पुलिस के अनुसार, 6 अगस्त 2020 के बाद से कुल 1968 बच्चे लापता हुए हैं जबकि 2027 बच्चों को पुलिस ने तलाशा है। दूसरे शब्दों में कहें तो 103 फीसदी बच्चों को पुलिस तलाश चुकी है। हिन्दुस्थान समाचार/अश्वनी

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