नाग पंचमी पर गुड़िया पीटने की अनोखी परम्परा
नाग पंचमी पर गुड़िया पीटने की अनोखी परम्परा

नाग पंचमी पर गुड़िया पीटने की अनोखी परम्परा

नई दिल्ली, 25 मई (हि.स.)। नागपंचमी का त्योहार यूँ तो हर वर्ष देश के विभिन्न भागों में मनाया जाता है लेकिन उत्तरप्रदेश में इसे मनाने का ढंग कुछ अनूठा है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को इस त्योहार पर राज्य में गुड़िया पीटने की अनोखी परम्परा है। विश्व हिन्दू परिषद दिल्ली प्रांत के संयोजक मदन ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि नाग पंचमी के दिन लोग कटोरों में दूध भरकर अपने अपने खेतों में रख कर आते हैअअं। शाम को गाँव की महिलाएँ घर के पुराने कपड़ों से गुड़िया बनाकर मंगलगीत गाती हुई घरों से निकलती हैं। वे इन गुड़ियों को चौराहे या तालाब पर डालती हैं और बच्चे और बड़े उन्हें डंडों से पीटकर खुश होते हैं। इन डंडो के टुकड़ों को लोग आपस में बाटते हैं और इन्हें शुभ मान कर घरों में रखते है। दक्षिणी दिल्ली दुर्गा वाहिनी की संयोजिका शालिनी भट्ट ने बताया कि उन्होंने आज नाग पंचमी की पूजा घर पर ही की है। उन्होंने बताया कि ऐसा माना जाता है कि नागों का पैतृक स्थान कश्मीर है। आज नाग पंचमी के दिन ही काश्मीर में नागों का प्रादुर्भाव हुआ। नागों के पिता कश्यप ऋषि कश्मीर के प्रथम राजा थे। इनके नाम से ही कश्मीर का नाम पड़ा। इनकी एक पत्नी कद्रू के गर्भ से नागों की उत्पत्ति यानि नाग-वंश की उत्पत्ति हुई। कश्मीर में नागों के नाम पर अनेक स्थान हैं- अनन्त नाग, कमरू नाग, गकोकर नाग, वेरी नाग, नारा नाग, कौसर नाग। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर हस्त नक्षत्र के संयोग में आज नाग पंचमी मनाई जाती है। श्रद्धालु मंदिर, देवालय जाकर नागदेवता की पूजा कर दुग्धाभिषेक करते हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पंडितों ने श्रद्धालुओं से घर पर ही पूजा करने की अपील की है। हिन्दुस्थान समाचार/रतन सिंह/पवन-hindusthansamachar.in

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