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दिल्ली दंगा पीड़ितों के पुनर्वास में जमात-ए-इस्लामी की अहम भूमिका

-एक साल बाद भी प्रभावितों को सरकारी मदद का इंतजार नई दिल्ली, 25 फरवरी (हि.स.)। राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी जिले में गत वर्ष हुए साम्प्रदायिक दंगों को एक साल पूरा हो गया है। इन दंगों में होने वाले जान-माल के नुकसान की भरपाई आज तक नहीं हो पाई है। पीड़ित परिवारों को आज भी सरकार की मदद का इंतजार है। हालांकि पहले ही दिन से गैर सरकारी संगठनों की तरफ़ से वहां पर राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया है मगर अभी तक बहुत से परिवारों तक मदद नहीं पहुंच पाई है। अभी भी लोग अपने परिवार के सदस्यों को खोने के गम से उबर नहीं पाए हैं। दिल्ली सरकार ने कल ही दावा किया कि दंगों में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा दिया जा चुका है और जिनकी दुकान और मकान को नुकसान पहुंचा था, उन सभी को भी मुआवजा दे दिया गया है। इसके बावजूद कुछेक पीड़ित परिवारों का कहना है कि सरकार की मदद उनके पास अभी नहीं पहुंची है। हालांकि कई संगठन क्षेत्र में अभी भी दिन रात मेहनत करके पीड़ित परिवारों को रोजगार देने और उनकी खुशियां लौटाने का काम कर रहे हैं। इसी कड़ी में जमात-ए-इस्लामी हिंद ने हिंसा के शिकार बने दुकानदारों को फिर से खड़ा करने के उद्देश्य से उनकी आर्थिक और निर्माण कार्य कराकर मदद की है। जमात की टीम ने भजनपुरा, करावलनगर मैन रोड के साथ ही खजूरी में चल रहे कार्यों को पूरा कराकर पीड़ितों के हवाले कर दिया है। जमात-ए-इस्लामी हिंद की एक टीम प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल वहीद के नेतृत्व में हिंसा प्रभावित क्षेत्र में पहले ही दिन से पहुंची थी। टीम ने यहां भजनपुरा कपड़ा मार्केट में दंगों के दौरान हिंसक भीड़ की लूटपाट का शिकार बनी कपड़े की दुकान के मालिक मुहम्मद असगर खान की दुकान में कारोबार के लिए कपड़े और कुछ आर्थिक मदद की है जबकि एक अन्य पीड़ित को कॉस्मेटिक की दुकान का सामान दिलाकर इन दोनों दुकानों को दुबारा से शुरू कराया है। पीड़ित दुकानदारों को जमात-ए-इस्लामी के खिदमत-ए-खल्क यूनिट के सचिव मोहम्मद अहमद के हाथों चाभी सौंपी गई है। मीडिया से बातचीत करते हुए मोहम्मद अहमद ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी हिंद उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के बाद से लगातार पीड़ितों के लिए काम कर रही है। शुरुआत में बचाव और राहत कार्य करके पीड़ित परिवारों तक खाने पीने का सामान मुहैया कराया गया। इसके बाद हिंसा प्रभावित लोगों के पास जमात की टीम पहुंची और उनके पुनर्वास के लिए काम किया है। दिल्ली दंगों के दौरान लोगों के मकान जल गए थे या फिर उन्हें तोड़ दिया गया था, ऐसे मकानों में निर्माण, मरम्मत और दूसरी तरह के काम कराए गए हैं। अब तक करीब दो सौ मकान बनवाए गए हैं। जमात की टीम ने बाकायदा हिंसा ग्रस्त इलाकों में जाकर सर्वे किया और पीड़ितों को चिह्नित कर उनको राहत पहुंचाई गई है। आगजनी की शिकार हुई दुकानों को बनवाया गया। उनमें सामान भरवाया गया और ऐसे पीड़ितों को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया गया है। अभी भी कहीं से किसी पीड़ित के बारे में जानकारी मिलती है, तो उसे हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल वहीद ने बताया कि हिंसाग्रस्त इलाकों में अब तक 291 प्रोजेक्ट पूरे कर लिये गए हैं, जिसमें जमात की तरफ से निर्माण कार्य, मरम्मत और सामान भी दिलवाया गया है। उसके अलावा 25 मकान भी बनकर तैयार हो गए हैं और दो धार्मिक स्थलों पर भी काम चल रहा है। जमात ने ऐसे लोगों की भी मदद की जो राह चलते हिंसा का शिकार हो गए थे। ऐसे हिंसा प्रभावित लोगों को ई रिक्शा, ईको गाड़ी, बाइक और ठेले और घरेलू सामान भी मुहैया कराया गया है। हिंदुस्थान समाचार/एम. ओवैस

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