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दिल्ली नगर निगम को कर्मचारियों का समय से वेतन नहीं देने पर हाईकोर्ट की फटकार

-नेताओं की फोटो के साथ विज्ञापन छपवाने के लिए पैसे हैं लेकिन कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के लिए नहींः हाईकोर्ट -कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बकाया वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया नई दिल्ली, 05 अप्रैल (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के नगर निगमों के कर्मचारियों को वेतन और पेंशन समय पर नहीं मिलने पर दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम देख सकते हैं कि किस तरह से सरकार राजनेताओं की तस्वीरों के साथ अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देती है लेकिन दूसरी तरफ कर्मचारियों की सैलरी तक नहीं दी जाती। हाईकोर्ट ने कहा कि क्या यह अपराध नहीं है कि ऐसे मुश्किल वक्त में भी आप पैसा विज्ञापन पर खर्च कर रहे हैं। अगर आप इन कर्मचारियों को तय वक्त पर तनख्वाह देते तो आपका कहीं ज्यादा नाम हो सकता है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बकाया वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया। पिछले 24 मार्च को कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि वह अपने संशोधित अनुमान के मुताबिक तीनों नगर निगमों की बकाया राशि 31 मार्च तक जारी करें। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार जो राशि जारी करेगी, उससे नगर निगम कर्मचारियों को वेतन और पेंशन दें। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार की ओर से अपने संशोधित अनुमान के तहत 2020-21 के लिए पूर्वी उत्तरी और दक्षिणी नगर निगम को ''बेसिक टैक्स एसाइनमेंट (बीटीए) न देने का कोई औचित्य नहीं है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि दिल्ली सरकार के संशोधित अनुमान के तहत बीटीए के तौर पर वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 864 करोड़ 80 लाख रुपये, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को 405 करोड़ 20 लाख रुपये और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को 764 करोड़ 80 रुपये दिए जाने हैं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार बीटीए का भुगतान करना अगले वित्तीय वर्ष के लिए टाल नहीं सकती, क्योंकि नगर निगमों को वेतन देना है और उन पर दूसरे वित्तीय बोझ भी हैं। उल्लेखनीय है कि वेतन की मांग को लेकर 2020 से कस्तूरबा गांधी अस्पताल के डाक्टरों ने इस्तीफे की धमकी दी थी। पिछले हफ्ते भी अस्पताल के डॉक्टर हड़ताल पर थे। इसके अलावा नगर निगमों के सफाई कर्मचारी और शिक्षकों ने भी हड़ताल की थी। हिन्दुस्थान समाचार/संजय

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