एसोटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक फर्जीवाड़ा में हुआ गिरफ्तार
नई दिल्ली, 09 जनवरी (हि.स.)। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने एसोटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक को फर्जीवाड़ा में गिरफ्तार किया है। उसपर आरोप है कि उसने निवेशकों को फ्लैट देने का झांसा देकर उनसे करोड़ों रुपये की ठगी की। जांच में पता चला है कि कंपनी के निदेशक पर फर्जीवाड़ा के कई मामले दर्ज हैं। शाखा की टीम निदेशक से पूछताछ कर जांच में जुटी है। शाखा के संयुक्त आयुक्त डॉक्टर ओ पी मिश्रा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान नोएडा निवासी संजीव श्रीवास्तव (57) के रूप में हुई है। सुधीर कुमार गुप्ता ने वर्ष 2016 में शाखा में ठगी की शिकायत दर्ज करवायी। जिसमें उन्होंने बताया कि एसोटेक कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने अपने परियोजना के तहत बन रहे फ्लैट को खरीदने का सब्जबाग दिखाकर उससे करोड़ों कर ठगी की। कंपनी ने उन्हें इस बात के लिए राजी कर लिया कि परियोजना में थोक निवेश करने से फायदा है। शिकायतकर्ता को सितंबर 2014 में एसोटेक कैनोपी के विभिन्न टावरों में आवासीय इकाइयों की पेशकश की गयी। शिकायतकर्ता ने 40 फ्लैट बुक किये। भुगतान योजना के मुताबिक शिकायतकर्ता को बुकिंग के 60 दिन के भीतर फ्लैटों की लागत का 30 फीसदी देना था। लेकिन जब शिकायतकर्ता ने भुगतान करने को तैयार हुए तो उन्हें कुछ समय इंतजार करने के लिए कहा गया। बाद में पता चला कि शिकायतकर्ता ने जो फ्लैट बुक करवाये थे उसे दूसरे को आवंटित कर दिया गया। आरोपी संजीव श्रीवास्तव ने शिकायतकर्ता को फिर से अपने दूसरे प्रोजेक्ट में फ्लैटों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने का झूठा आश्वासन दिया। शिकायतकर्ता ने आरोपी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और उसे कुल कीमत का भुगतान करने वाली योजना के अनुसार बिक्री मूल्य का तीस फीसदी अतिरिक्त 5.16 करोड़ रुपये भुगतान किया। कुछ समय बाद जब शिकायतकर्ता प्रोजेक्ट साइट पर गया तो वह यह देखकर हैरान हो गया कि वहां निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ है। उसके बाद उसने शाखा ने इस बाबत शिकायत की। जांच में पता चला कि आरोपी कंपनी के प्रोजेक्ट एसोटेक कैनोपी को जीडीए से अनुमोदित नहीं किया गया है और न ही टाउनशिप योजना में उसकी कोई परियोजना ही शामिल है। निदेशक संजीव श्रीवास्तव को कई बार शाखा की ओर से तफ्तीश में शामिल होने के लिए नोटिस भेजा गया। लेकिन वह तफ्तीश से बच रहा था। 8 जनवरी को पुलिस ने उसे नोएडा से गिरफ्तार कर लिया। जांच के बाद पुलिस ने बताया कि संजीव श्रीवास्तव और उसकी सहयोगी कंपनी के खिलाफ फर्जीवाड़ा के कई मामले दर्ज हैं। कंपनी ने विनियमक प्राधिकरणों, बिना सरकार के आवश्यक अनुमोदन प्रस्तावित आवासीय इकाइयों के लिए बुकिंग की और राशि एकत्र किया। एसोटेक ग्रूप के 26 कंपनियों का निदेशक है आरोपित जांच में पता चला कि मूलत: बिहार निवासी संजीव श्रीवास्तव ने प्राथमिक शिक्षा पटना में हुई है। कालीकट एनआईटी से उसने सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली। 1986 में वह रियल एस्टेट के कारोबार में हाथ आजमाया। उसने एबीएस कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरूआती की, जो बाद में एसोटेक कंट्रेक्ट इंडिया लिमिटेड विलय हो गया। वर्ष 2004-05 में कंपनी का नाम एसोटेक लिमिटेड कर दिया गया। इस कंपनी को संजीव श्रीवास्तव अपने भाई राजीव श्रीवास्तव के साथ चलाता था। वह एसोटेक ग्रूप के 26 कंपनियों के निदेशक रहा। वत्र्तमान में वह चालीस कंपनियों का निदेशक है। अधिक से अधिक धन जुटाने के लिए उसने नई परियोजनाओं की शुरूआत की और एक परियोजना से जुटाई गयी धनराशि को दूसरी परियोजना में लगाकर निवेशकों से ठगी करता रहा। हिन्दुस्थान समाचार/अश्वनी-hindusthansamachar.in