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अपने बच्चों के दिव्यांग होने से दुखी था धीरज

नई दिल्ली, 01 अप्रैल (हि.स.)। हर कोई अपने बच्चों के लडक़पन और शरारतों को देखकर खुश होता है। लेकिन नाहरपुर गांव में रहने वाला धीरज यादव अपने बच्चों की हालत देखकर मानसिक रूप से कमजोर होने लगा था। भगवान से बोलता था कि हमारा क्या कसूर था कि हमको इस तरह से दोनों बच्चे दिये हैं। धीरज के परिवार वाले उसको अनगिनत बार समझाते थे कि जैसे ही भगवान ने तुमको दिये हैं। उनका पालन पोषण करो बस। लेकिन धीरज बच्चों को देखकर मानसिक रूप से काफी परेशान रहने लगा था। इसी वजह से वह ज्यादा नशा करने लगा था और छोटी छोटी बातों पर अपनी पत्नी से झगड़ा करता था। पति-पत्नी में होता रहता था विवाद मृतक धीरज के पिता महासिंह ने बताया कि सुबह पांच बजे वह धीरज को हर रोज की तरह उठाने गए थे। अगर धीरज ड्यूटी पर लेट हो जाया करता था तो उसको ड्यूटी नहीं मिला करती थी। जब वह उसको उठाने गए। दरवाजा अंदर से बंद था। काफी खटखटाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला। किसी अनहोनी को देखते हुए उसने राशन का ड्रम को दरवाजे पर रखकर अंदर जंगले से झांककर देखा, धीरज पंखे से लटका हुआ था। बहू और पौते फर्श पर पड़े थे। परिवार और पुलिस को मामले की जानकारी दी थी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर कमरे में किसी को आने नहीं दिया था। दोनों बच्चे थे दिव्यांग धीरज के पिता ने बताया कि उसके दोनों पौते दिव्यांग थे। बड़ा बेटा हितेन बोल नहीं पाता था। वह कुछ समय से मम्मी काफी हद तक साफ बोल लिया करता था। उसके इसी शब्द को सुनकर सभी खुश हो जाया करते थे। जबकि आर्थव पैदाईश से ही हाथ पैर से दिव्यांग था। डॉक्टरों ने बोल रखा था कि इसकी जितनी सेवा कर सकते हो करो बाकी भगवान के ऊपर छोड़ दो। अनगिनत डॉक्टर और वैद्यों को दिखाया बच्चों को दोनों बच्चे किसी तरह से ठीक हो जाए,इसके लिए धीरज और उसके पिता महासिंह ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। बच्चों को दिल्ली से बाहर भी ले जाकर उनका उपचार कराने की कोशिश की थी। यहीं नही उनके लिए पूजा पाठ भी करवाया गया था। लेकिन डॉक्टरों ने बता रखा था कि पैदाइशी बीमारी ठीक नहीं होती है। बच्चों की हालत देखकर परिवार भी काफी दुखी रहा करता था। फिलहाल पिछले काफी समय से छोटे पौते का उपचार एम्स से चल रहा था। मृतक की मां भी है मानसिक रूप से बीमार महासिंह ने बताया कि धीरज की मां भी मानसिक रूप से कमजोर है। उनको कमरे में रखा जाता है। वह 24 घंटे उसपर ही निगाह रखते हैं। उनको डर लगा रहता है कभी वह बाहर नहीं निकल जाए। उनकी मानसिक स्थिति इतनी कमजोर हो चुकी है। उसके अपने बेटे बहू और पौते अब दुनिया में नहीं रहे हैं। उसको नहीं पता है। धीरज अपनी मां को लेकर काफी परेशान रहता था। ऊपर से उसके दोनों बेटे इस तरह से दिव्यांग पैदा होंगे। उसको यकीन नहीं था। उसके बेटे दिव्यांग होंगे। सुसाइड नोट में लिखा अपना दर्द पुलिस सूत्रों की मानें तो धीरज ने वारदात करने से पहले एक पेज का सुसाइड नोट लिखा था। पुलिस को सुसाइड नोट उसी कमरे से बरामद हुआ है। जहां पर धीरज ने वारदात को अंजाम दिया था। धीरज ने सुसाइड नोट में अपनी आर्थिक तंगी और बच्चों के बारे में काफी कुछ लिखा था। जिससे वह काफी समय से तंग था। परिवार ने बताया कि महीने में उसको दिन के हिसाब से ड्यूटी मिला करती थी। घर में मां और दो बच्चे बीमार होने से उनका उपचार भी करवाना जरूरी था। जिसको लेकर धीरज काफी परेशान रहा करता था। इसी परेशानी में आकर उसका पत्नी से छोटी छोटी बातों पर झगड़ा हो जाया करता था। लेकिन इतनी परेशानी में वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा किसी को नहीं पता था। हिन्दुस्थान समाचार/अश्वनी

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