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दिल्ली दंगाः मस्जिद तोड़फोड़ मामले में अदालत की पुलिस को लताड़

नई दिल्ली, 08 अप्रैल (हि.स.)। पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान मदीना मस्जिद पर हमले और आगजनी के एक मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने बुधवार को कहा कि इस मामले में जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने जल्दबाज़ी की और उसका रवैया बेहद कठोर रहा है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में पिछले साल 23 फरवरी को दंगे शुरू हुए थे और ये तीन दिन यानी 25 फ़रवरी तक जारी रहे। इस दौरान यह क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित रहा और दंगाइयों ने वाहनों और दुकानों में आग लगा दी। जाफराबाद, वेलकम, सीलमपुर, भजनपुरा, गोकलपुरी और न्यू उस्मानपुर आदि इलाक़ों में फैल गए इस दंगे में 53 लोगों की मौत हुई थी और 581 लोग घायल हो गए थे। मस्जिद पर आगजनी के मामले में दर्ज की गई शिकायत में एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा था कि दंगाइयों ने पिछले साल 25 फरवरी को शिव विहार की मदीना मस्जिद में तोड़फोड़ की और एलपीजी के दो सिलेंडर अंदर रखकर इनमें आग लगा दी थी। इसके अलावा मस्जिद की ऊंची मीनार पर एक भगवा झंडा भी फहरा दिया था। अतिरिक्त सेशन जज विनोद यादव ने सुनवाई के दौरान सब इंस्पेक्टर सुमन से पूछा कि एसएचओ ने सबसे पहले यह केस किसे सौंपा और उसने क्या जांच की? इसके जवाब में सब इंस्पेक्टर सुमन ने बताया कि उस वक्त वह कोरोना संक्रमण की चपेट में थे। जज ने आगे पूछा, “जब उन्हें (सब इंस्पेक्टर को) कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था तो उस दौरान उन्होंने क्या किया? क्या उन्होंने डीडी की एंट्री लिखी, आपने केस में क्या किया, किसने इस मामले की जांच की, अब आपकी जुबान ख़ामोश क्यों हो गई।’’ इसपर सब इंस्पेक्टर सुमन ने कहा कि उन्होंने कुछ नहीं किया। इस पर जज नाराज़ हो उठे और उन्होंने कहा, क्या मुझे पुलिस आयुक्त को लिखना चाहिए। दंगों के मामलों में जहां अभियुक्त नामजद हैं, हमारे अफ़सर ने सोचा कि इस मामले में जांच की कोई ज़रूरत ही नहीं थी। इस पर सब इंस्पेक्टर ने कहा कि वह इसके लिए माफी मांगते हैं। जज ने कहा, ‘आपने कितने दिन से शिकायतकर्ता को जेल में रखा हुआ है? इस बात का जवाब कौन देगा? मदीना मसजिद में आगजनी के मामले में हाशिम अली ने शिकायत की थी और पुलिस ने उन्हें ही गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने हाशिम की शिकायत को एक स्थानीय व्यक्ति की शिकायत के साथ जोड़ दिया और दावा किया कि यह चार्जशीट का ही हिस्सा है। अतिरिक्त सेशन जज विनोद यादव ने पुलिस से कहा कि वह इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। इसके साथ ही उस एफआईआर की ओरिजिनल डेली डायरी की एंट्री भी दिखाएं जिसमें पुलिस ने दावा किया है कि उसने मदीना मसजिद में आगजनी की शिकायत दर्ज की थी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा नियुक्त वकील एडवोकेट एमआर शमशाद ने इस मामले में हाशिम अली की ओर से अदालत में याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने कहा था कि पुलिस को निर्देश दिए जाएं कि वह मदीना मसजिद में आगजनी के मामले में एक अलग एफआईआर दर्ज करे। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले को किसी दूसरी एफआईआर में शामिल करना बेतुका है। अदालत ने कहा कि पुलिस इस मामले के गवाहों के बयान भी दर्ज करें। दिल्ली दंगों के मामले में पुलिस ने 755 एफआईआर दर्ज की थीं और 1,818 लोगों को गिरफ्तार किया था। हालात तब और बिगड़ गए जब कुछ ही दिन बाद कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया। इससे वे लोग जिनका मकान, दुकान दंगे में खाक कर दिया गया था, मुसीबतों से घिर गए थे। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सचिव एडवोकेट नियाज अहमद फारूकी ने उप-निरीक्षक सुमन के व्यवहार पर गहरा खेद व्यक्त किया है। हिन्दुस्थान समाचार/एम ओवैस/मोहम्मद शहजाद

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