कालीकट विवि की पुस्तक से अरुंधति रॉय के राष्ट्र विरोधी भाषण को तुरंत हटाया जाए : अतुल कोठारी
कालीकट विवि की पुस्तक से अरुंधति रॉय के राष्ट्र विरोधी भाषण को तुरंत हटाया जाए : अतुल कोठारी

कालीकट विवि की पुस्तक से अरुंधति रॉय के राष्ट्र विरोधी भाषण को तुरंत हटाया जाए : अतुल कोठारी

नई दिल्ली, 29 जुलाई (हि.स.)। कालीकट विश्वविद्यालय में बीए अंग्रेजी साहित्य, तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रम की पुस्तक में छात्रों को पढ़ाने के लिए शामिल अरुंधति रॉय के एक भाषण पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि इस प्रकार का पाठ पढ़ाना राष्ट्रद्रोह के समान है। कोठारी ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' एवं केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान को पत्र लिखकर कालीकट विश्वविद्यालय में बीए अंग्रेज़ी साहित्य के तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रम में राष्ट्र विरोधी सामग्री को तत्काल प्रभाव से हटाने का आग्रह किया है। केरल के कालीकट विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में “ब्रेकिंग इंडिया” की प्रमुख वक्ता अरुंधति रॉय के एक भाषण का समावेश किया गया है। ‘कम सितम्बर’ नामक यह भाषण अरुंधति रॉय द्वारा वर्ष 2002 में अमेरिका में दिया गया था। कोठारी का आरोप है कि इस भाषण में अरुंधति रॉय ने हिंदू धर्म का उल्लेख ‘सांप्रदायिक फासीवादी’ किया है। स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व की तत्कालीन सरकार को भी फासीवादी एवं कश्मीर में राज्य प्रायोजित आतंकवाद चलाने वाली सरकार कहा गया है। साथ ही 2002 के गुजरात में हुए दंगों को ‘राज्य समर्थित नरसंहार’ की उपमा दी है। उन्होंने कहा कि आत्मघाती हमला करने वाले आतंकियों का बचाव करते हुए इसमें लिखा है, “हमें आतंकवादी की निंदा करना सिखाया जाता है किंतु वो इस स्थिति तक क्यों पहुंचा इसका विचार भी हमें करना चाहिए।” उन्होंने बताया कि इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि इस भाषण का एवं भाषण देने वाली वक्ता की मंशा राष्ट्र विरोधी भावना को बढ़ावा देने वाली ही है। देश के किसी भी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में इस प्रकार का पाठ पढ़ाना राष्ट्रद्रोह के समान है। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के दक्षिण क्षेत्र के संयोजक ए. विनोद ने बताया कि न्यास के राष्ट्रीय सचिव द्वारा प्रधानमंत्री सहित अन्य सभी सम्बंधित विभागों को पत्र लिख कर इस अध्याय को तत्काल प्रभाव से हटाने का आग्रह किया है। साथ ही पाठ्य पुस्तक समिति एवं विश्वविद्यालय के कुलपति पर भी उचित कार्यवाही की मांग की है। हिन्दुस्थान समाचार / राजेश-hindusthansamachar.in

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