सीएम कालेज में एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन
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दरभंगा, 6 सितंबर (हि.स.)। उर्दू साहित्य में बिहार के अजीमाबाद को विशिष्ट स्थान प्राप्त रहा है। क्योंकि अजीमाबाद के उर्दू साहित्यकारों और लेखकों ने भारत के अन्य साहित्यिक केंद्रों को नई चेतना से अवगत कराया है। उक्त बातें हैं प्रोफेसर आफताब अहमद आफाकी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बनारस उर्दू विभागाध्यक्ष ने कही। प्रोफेसर आफताब अहमद स्थानीय सी एम कॉलेज दरभंगा के उर्दू विभाग द्वारा रविवार को एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार शीर्षक अजीमाबाद की अदबीखिदमत के उद्घाटन सत्र में व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जब दिल्ली और लखनऊ में साहित्य सृजन नहीं हो रहा था, उस वक्त पटना जिसे अजीमाबाद कहा जाता है, 11 वीं सदी में उर्दू साहित्य लिखा जा रहा था। इसलिए भारतवर्ष में उर्दू साहित्य का इतिहास अजीमाबाद की खिदमत को नज़रअंदाज नहीं कर सकता। उन्होंने कहा यदि उर्दू का इतिहास पूर्ण होगा तो उसमें बिहार के उर्दू लेखकों की साहित्यिक खिदमत को दर्ज करना अनिवार्य होगा। प्रोफेसर इरतेज़ाकरीम संकायाध्यक्ष दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली ने कहा कि सीएम कॉलेज दरभंगा ने इस वेबीनार के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर एक नई बहस को जन्म दिया है। यह बहस साहित्य जगत में बिहार के साहित्यकारों के साथ इंसाफ का तकाजा है और अजीमाबाद की साहित्यिक रचनाओं को नई पहचान देना है। ज्ञातव्य हो कि सी एम कॉलेज दरभंगा के उर्दू विभाग द्वारा इस लॉक डाउन की अवधि में यह दूसरा वेबीनार था। जिसमें पूरे राष्ट्र से उर्दू के स्थापित साहित्यकारों और लेखकों को जोड़ा गया था और इस का प्रसारण कॉलेज के फेसबुक पर भी किया गया। हिन्दुस्थान समाचार/मनोज/चंदा-hindusthansamachar.in

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