विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला में सन्नाटा
विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला में सन्नाटा

विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला में सन्नाटा

गया, 02 सितंब (हि.स.) सनातन धर्मावलंबियों के विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला पर प्रशासनिक रोक के बाद गया जी में बुधवार को सन्नाटा पसरा रहा। वहीं, मोझधाम की सीढ़ी के रूप में विख्यात गयापाल पंडा समाज के समक्ष भयावह आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। अनंत चतुर्दशी 01 सितंबर से पितृपक्ष मेला का विधिवत शुरूआत पुनपुन श्राद्ध से होना था। गयाजी में 02 सितंबर से एक पखवाड़ा तक पितृपक्ष मेला में देश-विदेश के सनातन धर्मावलंबी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए कर्मकांड और जल तर्पण करने के लिए आने वाले थे। लेकिन राज्य सरकार ने 06 सितंबर तक गया सहित पूरे बिहार में कोरोनावायरस के बढ़ते प्रसार को देखते हुए लाॅकडाउन घोषित कर रखा है। ऐसे में धार्मिक स्थल के रूप में चिह्नित विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर लाॅकडाउन की परिधि में आ जाता है। जहां सोशल डिसटेंसिंग के साथ पूजा-पाठ होना है। मंदिर में भीड़ की इजाजत नहीं है। पंडा महेश गुपुत सहित अन्य गयापाल पंडा समाज के सदस्यों ने बताया कि मंगलवार तक उन सभी के पास देश-विदेश से लगातार फोन काल आ रहा था। बुधवार को भी कई फोन काल्स आए।जो अपने पूर्वजों को पिंडदान एवं मोक्ष प्राप्ति कराने को इच्छुक सनातन धर्मावलंबी यह जानना चाहते हैं कि पितृपक्ष में वो गयाजी श्राद्ध कर पाएंगे? यदि वो किसी तरह से गयाजी आ जाते हैं तो पिंड वेदियों तक पहुंच कर कर्मकांड और जल तर्पण कर पाएंगे? गयाजी में आवासन, वाहन और शुद्ध भोजन की व्यवस्था हो सकता है? वहीं, पंडा समाज "घर आने वाली लक्ष्मी" से यह कहने में काफी असहज दिखे।वो लाॅकडाउन की अवधि में पिंडदानियों को कोई भी सेवा प्रदान करने में अपनी असमर्थ जता रहे थे। उल्लेखनीय है कि करीब सवा सौ परिवार गयापाल पंडा समाज का है।जो पूरी तरह से पितृपक्ष मेला में देश-विदेश से आने वाले सनातन धर्मावलंबियों के द्वारा प्राप्त "सुफल"पर निर्भर करता है। गया जी में पितृपक्ष मेला में देश-विदेश से औसतन पांच-छह लाख सनातन धर्मावलंबी आते रहे हैं। ऐसे में आवासन,भोजन,दान सामग्री, फूल-माला,वाहन सहित कई अन्य मद्दो में करीब दो अरब रुपए का टर्न ओवर प्राय: हर साल पितृपक्ष मेला में होता रहा है। गया होटल एसोसिएशन के संजय सिंह की माने तो एक तो कोरोनावायरस से होटल कारोबार ठप्प था। उन्होंने कहा कि यह उम्मीद थी कि पितृपक्ष मेला में देश-विदेश से तीर्थ यात्री आएंगे।तब कुछ भरपाई होगी। पितृपक्ष मेला के प्रारंभ होने के पूर्व कई राज्यों से पंडित,नाई सहित समाज के अन्य वर्ग के हजारों की संख्या में लोग गया जी श्राद्ध से जुड़े कर्म कांड संपन्न कराने के लिए आया करते थे। ऐसे लोगों का पूरे साल की आजीविका गया जी में संपन्न गया श्राद्ध से हो जाता था। हिंदुस्थान समाचार/पंकज/चंदा-hindusthansamachar.in

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