रालोसपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ने फूंका बगावत का बिगुल
रालोसपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ने फूंका बगावत का बिगुल

रालोसपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ने फूंका बगावत का बिगुल

राजेश यादव ने उपेन्द्र कुशवाहा से पूछे 11 तीखे सवाल पटना, 07 दिसम्बर (हि.स.) । विधानसभा चुनाव के बाद बिहार की राजनीति में हाशिए पर आ चुके उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के करीब जाकर अपनी राजनीति को फिर से खड़ा करने की कोशिश उनकी पार्टी के लिए नई मुसीबत बनने लगी है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक-एक कर कुशवाहा की पार्टी के नेता उनका साथ छोड़ रहे हैं। सबसे पुराने नेताओं में से एक पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश यादव ही उपेन्द्र कुशवाहा के साथ बच गए थे लेकिन अब राजेश यादव ने भी बगावत का बिगुल फूंक दिया है। राजेश यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ने आरोप लगाया है कि उपेंद्र कुशवाहा के गलत फैसलों के कारण पार्टी की दुर्गति हुई है। विधानसभा चुनाव के पहले कुशवाहा ने जो फैसला किया, वह उनके तानाशाही रवैया और एकपक्षीय सोच का नतीजा था। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने इसका खामियाजा भी भुगता है और आज आरएलएसपी अपने सबसे बुरे दौर में है। राजेश यादव ने उपेंद्र कुशवाहा पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए सोमवार को पार्टी के कार्यकर्ता साथियों के नाम एक खुला पत्र जारी किया है। इस पत्र में कुशवाहा से कुल 11 सवाल किए गए हैं। राजेश यादव ने आरोप लगाया है कि उपेंद्र कुशवाहा अपनी मनमर्जी से एक के बाद एक गलत राजनीतिक फैसले लेते रहे और उसका परिणाम पार्टी के नेता और कार्यकर्ता भुगत रहे हैं। राजेश यादव ने पूछा है कि जब सब कुछ ठीक-ठाक है तो एनडीए छोड़ने का फैसला लोकसभा चुनाव के बाद क्यों लिया गया। राजेश यादव ने दूसरा सवाल करते हुए पूछा है कि महागठबंधन में आने का फैसला कुशवाहा ने किसके साथ बातचीत कर लिया। उनकी बात लालू प्रसाद से हुई या फिर राहुल गांधी से, यह स्पष्ट तौर पर उन्हें बताना चाहिए। इतना ही नहीं, राजेश यादव ने यह भी सवाल किया है कि आखिर लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव के ठीक पहले आरएलएसपी को किन परिस्थितियों में महागठबंधन से बाहर होना पड़ा। राजेश यादव ने उपेंद्र कुशवाहा पर आरोप लगाया है कि उन्होंने तेजस्वी यादव की राजनीतिक हत्या करने के लिए कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं और जीतन राम मांझी के साथ-साथ शरद यादव मुकेश सहनी से मिलकर साजिश रची थी। उन्होंने राजद पर यह दबाव बनाया कि वह शरद यादव को राज्यसभा भेजे, पार्टी को इससे क्या फायदा हुआ, यह कुशवाहा को बताना चाहिए। कुशवाहा के बेहद करीबी माने जाने वाले राजेश यादव ने यह भी कहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को यह चिंता कभी नहीं रही कि पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को उनके फैसलों से क्या फायदा होगा। वह सारी ऊर्जा अपने विकास के लिए लगाते रहे। उन्होंने दो सीटों से लोकसभा का चुनाव लड़ा, उसका क्या नतीजा निकला, सबको पता है। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव रंजन/चंदा-hindusthansamachar.in

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