मां के निधन पर अविनाश ने नहीं किया भोज, जरुरतमंदों को कराया भोजन
मां के निधन पर अविनाश ने नहीं किया भोज, जरुरतमंदों को कराया भोजन

मां के निधन पर अविनाश ने नहीं किया भोज, जरुरतमंदों को कराया भोजन

बेगूसराय, 05 अगस्त (हि.स.)। इंसान स्वार्थ व खाने के लालच में कितना गिरता है उसका नमूना होता है सामाजिक कुरीतियां। ऐसी ही एक पीड़ा देने वाली कुरीति वर्षों पहले कुछ स्वार्थी लोगों ने भोले-भाले इंसानों में फैलाई गई थी वो है मृत्युभोज। मानव विकास के रास्ते में यह गंदगी कैसे पनप गई यह समझ से परे है। जानवर भी अपने किसी साथी के मरने पर मिलकर दुख प्रकट करते हैं। लेकिन इंसानी बेईमान दिमाग की करतूतें देखो कि यहां किसी व्यक्ति के मरने पर उसके साथी, सगे-संबंधी भोज करते हैं। मिठाइयां खाते हैं। यह एक सामाजिक बुराई है। इसको खत्म करने के लिए हम सभी को जागरूक होकर काम करना पड़ेगा। यह बात मीरगंज बेगूसराय निवासी अविनाश ने अपने मां के द्वादशा के मौके पर बुधवार को कही। उन्होंने कहा कि किसी घर में खुशी का मौका हो तो समझ आता है कि मिठाई बनाकर, खिलाकर खुशी का इजहार करें, खुशी जाहिर करें। लेकिन किसी व्यक्ति के मरने पर मिठाइयां परोसी जाएं, खाई जाएं, इस शर्मनाक परम्परा को मानवता की किस श्रेणी में रखें। इंसान की गिरावट को मापने का पैमाना कहां खोजे, इस भोज के भी अलग-अलग तरीके हैं। कहीं पर यह एक ही दिन में किया जाता है। कहीं तीसरे दिन से शुरू होकर बारहवें-तेरहवें दिन तक चलता है। कई लोग श्मशान घाट से ही सीधे मृत्युभोज का सामान लाने निकल पड़ते हैं। मैंने तो ऐसे लोगों को सलाह भी दी कि क्यों न वे श्मशान घाट पर ही टेंट लगाकर जम लें ताकि अन्य जानवर आपको गिद्ध से अलग समझने की भूल नहीं कर बैठें। मृत्यु भोज का बहिष्कार कर अविनाश ने द्वादशा के दिन साईं की रसोई के माध्यम से जरूरतमंदों को भोजन कराकर नेक पहल की। जिसकी चर्चा चारों ओर हो रही। मौके पर मौजूद अमित जायसवाल समेत अन्य लोगों ने कहा कि सभी लोगों को इस सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के लिए आगे आना चाहिए। भोज खाने वाले यह नहीं देखते कि परिवार की हालत क्या है। लोग बीमारी समेत अन्य में लाखों खर्च कर तबाह रहते हैं। इसी बीच मौत हो जाने पर समाज दो-चार लाख और कर्ज कराने के चक्कर में लग जाते हैं। यह कुरिति समाज के लिए कोढ़ के बराबर है, जिसका खात्मा होना चाहिए। हम युवा इसके लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in