बक्सर विधानसभा  सीट : ड्रामा, सस्पेंस और फाइटिंग से लबरेज चुनावी फिल्म की पटकथा तैयार, पर नायक नदारद
बक्सर विधानसभा सीट : ड्रामा, सस्पेंस और फाइटिंग से लबरेज चुनावी फिल्म की पटकथा तैयार, पर नायक नदारद

बक्सर विधानसभा सीट : ड्रामा, सस्पेंस और फाइटिंग से लबरेज चुनावी फिल्म की पटकथा तैयार, पर नायक नदारद

बक्सर, 04 अक्तूबर (हि.स.)। ड्रामा सस्पेंस से भरपूर विधानसभा की चुनावी फिल्म की पटकथा तैयार है,तलाश सिर्फ हीरो की है ताकि फाइटिंग सीन के साथ शूटिंग की जा सके। नामांकन शुरू होने के चार दिनों बाद भी वातावरण बिलकुल शांत है। पार्टियों के समर्थक ऊहापोह में हैं। इस बीच बक्सर विधानसभा सीट के लिए गठबंधन के तहत सीटिंग विधायक संजय तिवारी (कांग्रेस) डुमरांव विधानसभा क्षेत्र से जदयू के सीटिंग विधायक ददन सिंह यादव और ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्र से राजद के विधायक शंभू यादव , राजपुर (सुरक्षित) सीट से विधायक और सूबे के तत्कालीन परिवहन मंत्री संतोष निराला ने पर्चा दाखिल करने के लिए प्रपत्र खरीद लिया है। यह तय हो चुका है कि अब किसी भी स्थिति में इनका नामांकन करना तय है। विधानसभा चुनाव की आंशिक तस्वीर साफ़ होने से बक्सर सीट पर महागठबंधन प्रत्याशी कांग्रेस से संजय तिवारी और ब्रह्मपुर सीट से राजद के विधायक शंभू यादव चुनाव लड़ेंगे जबकि पहले ही भाकपा(माले) डुमरांव विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है,पर प्रत्याशी कौन होगा अभी इसकी घोषणा नहीं हुई है। सबसे दिलचस्प बात एनडीए को लेकर है। लोजपा, भाजपा और जदयू की तकरार चुनावी फिल्म में मजेदार सस्पेंस बनाये हुए है। हाल के दिनों में बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय का वीआरएस लेने के बाद जदयू में शामिल हो जाने से बक्सर सीट से उनके चुनाव लड़ने के कयास ने पूरी की पूरी फिल्म को ही थ्रिलर बना दिया है। आलम यह है कि विधानसभा चुनाव को लेकर चाय की दुकानों से गांव की चौपाल तक बस यही चर्चा है कि क्या होने वाला है। मौजूदा हालात में मतदाता और दलों के समर्थक कयास के सहारे हैं। निर्दलीय प्रत्याशियों की बात करें तो कुछ हलचल तो है पर दम नजर नहीं आता। हाल ही में नवगठित संगठन भी चुनावी शंख बजा रहे हैं जो हर बार के विधानसभा चुनाव के दौर में होता आया है जो बाद में डपोरशंखी साबित होते रहे हैं। पूर्व राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ चिन्तक आरके सिन्हा के उस बयान का लोग समर्थन कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि इस तरह की स्थिति कतई प्रजातंत्र के हित में नहीं है और ना ही देश हित में है। वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए जिला निर्वाचन से जुड़े अधिकारी भी मानते हैं कि किसी भी सूरत में नामांकन तिथि को तो बढाया नहीं जा सकता । इसलिए नामांकन के शेष बचे चार दिनों में ही राजनीतिक दलों को अपनी तस्वीर साफ़ कर लेनी होगी। इस बार कागजी कार्रवाई भी जटिल है। समय पर प्रत्याशी सचेत होकर नामांकन नहीं करेंगे तो खामियाजा भुगतने की आशंका बनी रहेगी। इधर अपनी अपनी सीट तय मानकर बक्सर के कांग्रेस प्रत्याशी ब्रह्मपुर के राजद प्रत्याशी शुभ मुहूर्त के लिए पंडितों के शरणागत हो गये हैं। अबतक चार विधानसभा सीटों पर महागठबंधन के दो और एनडीए के दो विधायक नामांकन का पर्चा खरीद चुके हैं। भाजपा को लेकर बक्सर और ब्रह्मपुर सीटों पर सस्पेंस बना हआ है।लोजपा की स्थिति इस बार क्या होती है देखना दिलचस्प होगा। हिन्दुस्थान समाचार /अजय मिश्रा/हिमांशु शेखर/विभाकर-hindusthansamachar.in

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