पोस्ट मैट्रिक छात्र वृति योजना बन्द हुई तो चरणबद्ध आंदोलन-धर्मदेव
पोस्ट मैट्रिक छात्र वृति योजना बन्द हुई तो चरणबद्ध आंदोलन-धर्मदेव

पोस्ट मैट्रिक छात्र वृति योजना बन्द हुई तो चरणबद्ध आंदोलन-धर्मदेव

नवादा 16 दिसम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान सह दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन के तत्वाधान में नवादा के अम्बेडकर पुस्तकालय बुधवार को प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय दलित मानवाधिकार अभियान के राज्य समन्वयक धर्मदेव पासवान ने बताया कि मोदी सरकार देश भर में 62 लाख गरीब एएसी/एसटी को लाभ देने वाली 76 वर्ष पुरानी पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति (पीएमएस) योजना को बंद करने जा रही है । केंद्रीय सरकार की यह योजना बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र सहित 14 से अधिक राज्यों में लगभग बन्द हो गई है, और 2017 के एक फार्मूले के तहत राज्यों का राशि जारी नहीं कर रही है । हालांकि रिपोर्ट्स से पता चलता है कि केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए पीएमएस योजना के तहत फंडिंग पैटर्न के संसोधन के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है जिसके अनुसार केंद्र और राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के बीच कमिटेड लाईबलिटी की बजाय फिक्स शेयरिंग रेसियो का नियम लागू होगा। एम एस जे ई भारत सरकार के राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने भी 16 जुलाई 2019 को संसद के प्रश्न संख्या -3 /862 की अपनी प्रतिक्रिया में यही बात कही। शेयरिंग रेसियो की शिफ्टिंग पीएमएस योजना को लागू करने की आर्थिक जिम्मेदारी राज्य के संसाधनों पर डाल देगी । पासवान ने यह कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स से यह भी पता चलता है कि हाल ही में पीएमओ की बैठक कमिटेड लाईबलिटी के 2017-18 के युग की समाप्ति हुई है । जिसके परिणामस्वरूप 2018 में केवल 10 प्रतिशत केंद्रीय हिस्सेदारी 90 प्रतिशत राज्यों के शेयर थे। 12वें वित्त आयोग (एफसी)के दौरान प्रतिबद्ध देयता (कमिटेड लाईबलिटी ) 60 प्रतिशत केंद्रीय हिस्सा और 40 प्रतिशत राज्य का हिस्सा था।इस 12वें एफसी के दौरान कुल केन्दीय हिस्सा (10%) और राज्य का हिस्सा (90%) था । लेकिन 14वीं एफसी अबधि में यह केंद्रीय हिस्सा काफी कम हो गया (10%) और राज्य का हिस्सा 90% । अब राज्यों के लिए स्वयं के संसाधनों से 90%वित्त का प्रबंधन कर छात्रवृति की प्रतिपूर्ति करना सबसे बड़ी बाधा बन गई है । साथ ही उन्होंने पहली योजनाओं को लागू करने में असमर्थता व्यक्त की है । रजनी कुमारी ने कहा कि कई राज्य सरकार जैसे पंजाब, हरियाणा, महारष्ट्र,बिहार बार - बार इस मुद्दे को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के पास ले चुके हैं । इसलिए हम यह सुनिश्चित करने के लिए तत्काल आधार पर मांग करते हैं कि संवैैधानिक गारंटी के तहत देश के 62 लाख से अधिक गरीब एससी/एसटी छात्रों को शैक्षिणक न्याय मिले। हिंन्दुस्थान समाचार/डॉ सुमन-hindusthansamachar.in

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