पूर्वी चम्पारण में धूमधाम से मनाई गई भैया दूज एवं चित्रगुप्त पूजा
पूर्वी चम्पारण में धूमधाम से मनाई गई भैया दूज एवं चित्रगुप्त पूजा

पूर्वी चम्पारण में धूमधाम से मनाई गई भैया दूज एवं चित्रगुप्त पूजा

मोतिहारी, 16 नवम्बर (हि. स.)। पूर्वी चम्पारण में सोमवार को भैया दूज व चित्रगुप्त पूजा हर्षोल्लास से मनाई गयी । भैयादूज पर बहने अपने भाई की दीर्घायु की कामना करते हुए यह पूजन करती हैं । पूजा के दौरान बहनें पहले भाई को पारम्परिक गीतों के माध्यम से श्राप देती हैं फिर पारम्परिक गीतों के माध्यम से आर्शीवाद देते हुए भाइयों की दीर्घायु की कामना करती हैं । बहनें अपने हाथों से रुई के बने रक्षा सूत्र भाई की कलाई पर बांधती हैं , उसे बजरी खिलाती हैं फिर भोजन कराती हैं । दूसरी ओर कायस्थ जाति के लोगों ने आज विभिन्न स्थानों पर धूमधाम से भगवान चित्रगुप्त की पूजा -अर्चना की । राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि बह्माजी ने 11 हजार वर्ष की तपस्या की,इस उपलक्ष्य में ब्रह्मा जी के सामने एक दिव्य पुरुष कलम-दावात लिए खड़ा हुए। ब्रह्मा जी ने पूछा आप कौन हैं ? तो जवाब में प्रकट दिव्य पुरुष ने कहा कि मैं आपकी काया में स्थित चित्त में विराजमान रहता हूँ। आपने मुझे 11 हजार वर्ष की तपस्या के उपलक्ष्य में प्राप्त किया है। आप उद्देश्य बताइये और आपसे इतना प्रसन्न हूँ कि आप चाहे तो मेरा नामकरण भी कर सकते हैं। इस पर ब्रह्मा जी ने दिव्य पुरुष का नामकरण करते हुए कहा कि "चित में स्थित" होने से आपको भगवान चित्रगुप्त कहूंगा। कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ। इस दिन कायस्थ जाति के लोग अपने घरों में भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। भगवान चित्रगुप्त को मानने वाले इस दिन कलम और दावात का इस्तेमाल नहीं करते। पूजा के आखिर में वे सम्पूर्ण आय-व्यय का हिसाब लिखकर भगवान को समर्पित करते हैं। हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार/विभाकर-hindusthansamachar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in