नोटा ने बिहार चुनाव में बिगाड़ा खेल, 30 सीटों पर हार-जीत के अंतर से अधिक मिले वोट
नोटा ने बिहार चुनाव में बिगाड़ा खेल, 30 सीटों पर हार-जीत के अंतर से अधिक मिले वोट

नोटा ने बिहार चुनाव में बिगाड़ा खेल, 30 सीटों पर हार-जीत के अंतर से अधिक मिले वोट

पटना, 11 नवम्बर (हि.स)। सुप्रीट कोर्ट के आदेश के बाद 2013 में चुनाव आयोग ने आम जनता को नोटा का विकल्प दिया था। इसका उद्देश्य था कि अगर आपको कोई प्रत्याशी पसंद नहीं है तो आप नोटा का बटन दबा सकते हैं। इसका अर्थ है कि ‘इनमें से कोई नहीं’। बीते चुनावों में लोगों ने जमकर नोटा का बटन दबाया था। 2020 के चुनावों में 1.7 फीसद लोगों ने नोटा का प्रयोग किया। वहीं, इस बार 30 सीटें ऐसी थीं, जहां हार-जीत का अंतर नोटा को मिले मतों से कम था। 2015 के चुनावों में ये सीटें 21 थीं। बीते चुनावों के मुकाबले इस बार नोटा को कम मत मिला। इस बार नोटा को करीब सात लाख मत मिले, जबकि पिछली बार करीब साढ़े नौ लाख मत मिले थे। जदयू की 13 सीटों पर जीत के अंतर से अधिक नोटा बिहार विधानसभा के इस चुनाव में जदयू की 13 सीटें ऐसी थीं, जहां पर नोटा को जीत के अंतर से अधिक मत मिले। राष्ट्रीय जनता दल की भी जीती हुई 7 सीटों पर हार-जीत के अंतर से नोटा ने अधिक वोट हासिल किए। वहीं बीजेपी और कांग्रेस की क्रमश: 4 और 3 सीटें ऐसी थीं, जहां नोटा ने हार-जीत के अंतर से अधिक मत पाए। 2020 के चुनावों में भाजपा को 19.46 प्रतिशत, जेडीयू को 15.39 फीसद, राजद को वोट शेयर 23.11 फीसद वोट मिले हैं। वीआईपी, बीएसपी और ओवेसी की पार्टी को नोटा से कम वोट मिले विधान सभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने वाले ओवेसी की पार्टी एआईएमआईएम और वीआईपी का वोट शेयर नोटा से कम रहा। इन दोनों पार्टियों को क्रमश: पांच और चार सीटें मिलीं। एआईएमआईएम का वोट शेयर 1.24 फीसद, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा का 0.89 फीसद, बहुजन समाज पार्टी का 1.49 और वीआईपी पार्टी का वोट शेयर 1.52 फीसद था। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) को क्रमश: 0.83 फीसद और 0.65 फीसद मत मिले। हिन्दुस्थान समाचार /राजेश/विभाकर-hindusthansamachar.in

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