जिले में धूमधाम से चित्रगुप्त पूजा मनाकर कलाम दावत की हुई पूजा
जिले में धूमधाम से चित्रगुप्त पूजा मनाकर कलाम दावत की हुई पूजा

जिले में धूमधाम से चित्रगुप्त पूजा मनाकर कलाम दावत की हुई पूजा

सहरसा,16 नवम्बर(हि.स.)। जिले सहित शहर के नया बजार, कायस्थ टोला स्थित चित्रगुप्त मंदिर में कार्तिक शुक्ल द्वितीया को चित्रगुप्त भगवान की पूजा अर्चना की गई।इस अवसर पर कायस्थ परिवार के सदस्यों ने कलम दवात की विशेष पूजा अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना क । चित्रगुप्त पूजा समिति के उपाध्यक्ष अर्जुन वर्मा एवं यूथ कमिटी अध्यक्ष अभिषेक वर्मा ने कहा कि हम चित्रगुप्त संतान हैं। इस अवसर पर कलम दवात की पूजा भी होती है। साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित डाॅ शैफालिका वर्मा ने बताया कि मैंने जब से होश संभाला पापा को हमने सबेरे उठकर नहाते धोते देखा । हमारा संयुक्त परिवार था यानी मामा, मौसी, फुआ चाचा के परिवार , हमारे पापा ने हमे चचेरे , ममेरे सब सिखाया नहीं । कजिन शब्द अंग्रेजी पढ़ाई के लिये था। यानी पूरे परिवार में मर्द समुदाय बूढ़े से बच्चे तक नहा धोकर तैयार हो जाते , मांं पूजा घर के सामने अल्पना बनाती , पीढ़ी धोकर बीच मे रखती , गोबर से चित्रगुप्त भगवान इतना सुंदर बनाती , उनके हाथ मे कच्चे बांस की कलम देती , दीप में लाल रंग की रोशनाई , कलम की नोक रोशनाई में डूबी रहती , कागज के पन्ने अच्छी तरह से काट कर रखे जाते । हम सब भाई बहने अपनी अपनी कोर्स की किताबें जो बहुत भारी लगती , वो लाकर पीढ़ी पर रखते । घर मे रखी सारी कलमों को धो कर भगवान के पास जमा करते । सभी मर्द बैठते , कागज का टुकड़ा सबों को दिया जाता । करची की कलम से लाल रोशनाई से सभी लिखते अपनी आमदनी का जमा खर्च ।आमदनी अठन्नी ,खर्चा रुपया ।बच्चे भी अपनी तरह से लिखते।फिर मिठाई आदि चढ़ा , उन कागजों को एकदम छोटा कर , तह कर चित्रगुप्त भगवान के चरणों मे बड़े ही निरीह ,निश्छल भावों से रखते और ऊपर से हल्दी के रंग से रँगे कपड़े से सारी पीढ़ी को भगवान सहित ढंक दी जाती। सुबह कपड़ा हंटा सारे कागज को चित्रगुप्त भगवान को पानी मे प्रवाहित किया जाता । रात भर में अपनी संतान के दुख को दूर करते ।उन्होंने बताया कि चित्रगुप्त पूजा के दिन उस दिन लिखना पढ़ना , कलम छूना सारा मना रहता है।यहाँ तक कि मैंने हाइकोर्ट के जजों को भी देखा है । उस दिन केवल सुनते है , दस्तखत तक नहीं करते ।कालान्तर में समझा कि ' कायाषु स्थितः य: स: कायस्थ 'यानि कायस्थ कोई जाति नहीं वरण एक संस्कार है , एक संस्कृति है , ' जिनके हाथ में कलम होती है , वे भी कायस्थ ही होते हैं ।भगवान चित्रगुप्त के संबंध में कहा गया है कि भगवान चित्रगुप्त सृष्टि के संचालन के लिए धर्मराज एवं यमराज की मदद करते हैं भगवान चित्रगुप्त सृष्टि में सभी जीव जंतु, मनुष्य के कर्मो का लेखा जोखा रखते हैं उसी आधार पर प्रत्येक व्यक्ति का सुख दुःख का निर्धारण होता है ।इस अवसर पर सचिव राधाकांत लाल दास, कोषाध्यक्ष डी के मल्लिक,जीवन कुमार वर्मा, डाॅ अवनीश कर्ण, इन्द्रकांत लाल, प्रभात सिन्हा, राजेश कुमार मुन्ना, रमण वर्मा, प्रतीक कर्ण, प्रिंस वर्मा, दिनकर कुमार एवं घनश्याम मल्लिक सहित अन्य मौजूद रहे। हिन्दुस्थान समाचार/अजय-hindusthansamachar.in

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