किसान आंदोलन नहीं, यह सत्ता जाने से बेचैन राजनीतिक दल का अनर्गल प्रलाप है : भाजपा
किसान आंदोलन नहीं, यह सत्ता जाने से बेचैन राजनीतिक दल का अनर्गल प्रलाप है : भाजपा

किसान आंदोलन नहीं, यह सत्ता जाने से बेचैन राजनीतिक दल का अनर्गल प्रलाप है : भाजपा

बेगूसराय, 07 दिसम्बर (हि.स.)। आठ दिसम्बर को आहूत भारत बंद को भारतीय जनता पार्टी ने किसान द्वारा आयोजित नहीं, सत्ता गंवाने से बेचैन राजनीतिक दलों द्वारा प्रायोजित बताया है। सोमवार को जिला भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में विधान पार्षद रजनीश कुमार, नगर विधायक कुंदन कुमार एवं भाजपा जिलाध्यक्ष राज किशोर सिंह ने कहा कि किसानों के हित में लाए गए किसान बिल के विरोध में जिस प्रकार से विपक्ष ने किसानों को दिग्भ्रमित करने एवं देश में अराजकता का माहौल पैदा करने की कोशिश की है, उससे यह स्पष्ट होता है कि विपक्ष अपनी स्तरहीन राजनीति के चक्कर में किसानों के हित को नजरअंदाज कर केवल सत्ता प्राप्ति के षड्यंत्र रच रही है। सरकार किसानों की मांग पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर रही है। लागू किए गए कृषि विधेयक में संशोधन करने के लिए तैयार है। लेकिन धरना दे रहे लोग सरकार की बात से राजी नहीं हैं, यह सब किसान नहीं बिचौलिए हैं, जो पूरी तरह से कानून समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पिछले छह साल से हमेशा गरीबों, किसानों की बात कर रही है। किसानों की आय में दोगुना वृद्धि कर, उनके आर्थिक सशक्तिकरण का प्रयास किया जा रहा है लेकिन कांग्रेस और वामपंथी समेत विभिन्न विपक्षी पार्टियों कुछ किसानों को बहका कर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करना चाहती है। जब धरना किसानों द्वारा आयोजित होने की बात हो रही है तो उसमें खालिस्तान जिंदाबाद का नारा कैसे लग रहा है। सभी ने कहा कि 70 साल से सत्ता भोगी सत्ता से दूर रहने के कारण अपने को किसान का हितैषी बताकर उन्हें बहका रहे हैं। वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया विधेयक पूरी तरह से किसानों के हित में है। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देकर किसानों के फसल को बाजार और अधिक मूल्य दिलाने का प्रावधान किया गया है। किसानों को गुणवत्ता वाले बीज, तकनीकी सहायता और फसल स्वास्थ्य की निगरानी, ऋण तथा फसल बीमा की सुविधा उपलब्ध कराया जाएगा। किसान बिचौलिया को दरकिनार कर पूरे दाम के लिए सीधे बाजार में जा सकते हैं। अनाज, दलहन, तिलहन, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से इसलिए हटाया गया है कि कृषि उदारीकरण लागू किया जा सके। कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ेगा, कोल्ड स्टोरेज और सप्लाई चैन का आधुनिकीकरण होगा। फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य और कृषि मंडी की व्यवस्था जारी रहेगी। सरकार द्वारा किसानों के हित में किया गया यह फैसला कांग्रेस, वामपंथी, राजद समेत अन्य पार्टियों को पच नहीं रहा है, जिसके कारण वे अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा-hindusthansamachar.in

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