आत्मनिर्भर बनती अंजलि ने कैनवास पर उतार दिया   मधुबनी पेंटिंग में संपूर्ण रामायण
आत्मनिर्भर बनती अंजलि ने कैनवास पर उतार दिया मधुबनी पेंटिंग में संपूर्ण रामायण

आत्मनिर्भर बनती अंजलि ने कैनवास पर उतार दिया मधुबनी पेंटिंग में संपूर्ण रामायण

श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपी जाएगी मिथिला क्षेत्र में बनी यह अद्भुत पेंटिंग बेगूसराय, 13 सितम्बर (हि.स.)। कोरोना काल में लॉकडाउन करके सरकार ने लोगों को घर में रहने की सलाह दी और दूरदर्शन पर एक बार फिर से रामायण धारावाहिक दिखाया गया। उस समय लगा कि यह सिर्फ मनोरंजन का साधन है। लेकिन उस रामायण ने ना केवल लोगों को राम के आदर्श से परिचित कराया और सनातन संस्कृति की ध्वजा बुलंद की बल्कि, कला और रंगकर्म को समझने वाले लोगों को एक नई दिशा भी दी। ऐसे में बेगूसराय के एक कलाकार ने कैनवास पर अपनी कूची का ऐसा कमाल दिखाया कि उसपर संपूर्ण रामायण ही उतर आया और वह भी मधुबनी पेंटिंग के रूप में। अब यह खूबसूरत पेंटिंग अयोध्या पहुंचाने की तैयारी की जा रही है ताकि वहां बनने वाले प्रभु श्रीराम के विशाल मंदिर परिसर में मिथिला की इस विख्यात कलाकारी को दुनिया समझे, देखे और जान सके। यह कमाल किया है आत्मनिर्भर बनने के लिए संघर्ष कर रही बेगूसराय में रहने वाली अंजली प्रिया ने। यूं तो अंजलि पिछले तीन साल से बेगूसराय में मधुबनी पेंटिंग का अलख जगा रही है और बच्चों को इसके लिए प्रशिक्षित कर रही है लेकिन लॉकडाउन में जब उसने रामायण धारावाहिक देखा तो अचानक ही एक रात सादा कैनवास, ब्रश और रंग लेकर बैठ गई। लगातार 45 दिन तक उसने कठिन परिश्रम किया, रोज रात में चार से पांच घंटे तक जग कर पेंटिंग बनाती रही। उसके बाद राजा दशरथ के संतति यज्ञ, राम जन्म, शिक्षा, यज्ञ की रक्षा, स्वयंवर, मंथरा प्रकरण, वन गमन, सीता हरण, जटायु मरण, अशोक वाटिका प्रकरण, समुद्र पर पुल निर्माण, लंका दहन, रावण वध, अयोध्या आगमन और सीता की अग्निपरीक्षा तक के दृश्य को कैनवास पर उतार दिया। मधुबनी पेंटिंग से सजा यह संपूर्ण रामायण अपने आप में अद्वितीय दिख रहा है। अंजलि ने बताया कि तीन साल से मधुबनी पेंटिंग का काम करने के दौरान उसने दशावतार, गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती, मिथिला की पहचान कोहवर, चौठचंद्र समेत कई पहलुओं को कैनवास पर उतारा लेकिन जो खुशी रामायण को कैनवास पर देखकर हो रही है, वैसी खुशी कभी नहीं मिली। अंजलि ने बताया कि रामायण सीरियल देखने के बाद अचानक उसके मन में पेंटिंग बनाने का ख्याल आया और उसने सब कुछ त्याग कर अपना अभियान शुरू कर दिया। इसके लिए घर के लोग गुस्साते थे, लेकिन मन में एक जज्बा और विश्वास था।इसी बीच जब राम मंदिर का शिलान्यास किया गया तो उसके मन में और प्रेरणा जगी तथा देखते ही देखते पेंटिंग तैयार हो गयी। प्रभु राम का मिथिला से रागात्मक रिश्ता है, वे यहां के जन-जन में कण-कण में बसे हुए हैं। इसलिए अब वह श्री राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण में लगे दायित्ववान लोगों से संपर्क साधने में जुटी है। संपर्क होते ही प्रभु श्री राम की यह पेंटिंग राम दरबार को सौंप देगी। अंजलि ने बताया कि मधुबनी पेंटिंग ने सनातन संस्कृति के तमाम पहलुओं को कैनवास पर उतारा है। उसने भी दो सौ से अधिक पेंटिंग बनाई लेकिन इसे बनाने की प्रेरणा प्रभु ने दी थी और जिस पर प्रभु श्रीराम की कृपा हो जाए उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/विभाकर-hindusthansamachar.in

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