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जल दिवस को लेकर परिधि व जीजीएफ के संयुक्त तत्वावधान में गेरुआ नदी यात्रा की हुई शुरुआत

भागलपुर, 22 मार्च (हि.स.)।विश्व जल दिवस के अवसर पर सोमवार को परिधि व जीजीएफ के संयुक्त तत्वावधान में गेरुआ नदी यात्रा का शुरुआत सन्हौला प्रखंड के भुड़िया महियामा से किया गया। यात्रा का उद्देश्य गेरुआ नदी के वास्तविक स्थिति को समझना, नदी के खतरों को समझना तथा स्थानीय लोगों के मंतव्य को जानना रहा। यात्रा दल में परिधि के निदेशक उदय, राहुल, अजय, मनोज, अरुण, अभिषेक, लाडली, दीपप्रिया, सार्थक भरत, राजू, जवाहर मण्डल शामिल रहे। यात्रा दल की शुरुआत ग्रामीणों के साथ बैठक कर हुई। यात्रा दल को काला डुमरिया गांव की बुजुर्ग महिला हीरा देवी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यात्रा दल में शामिल जवाहर मण्डल ने कहा कि नदी जब जिंदा थी, इसमें कलकल पानी बहती रहती थी। ये नदियां गांव की जीवन रेखा थी। नदी और पानी फसलों, पौधों और मानव जीवन के लिये अनिवार्य है। लेकिन अंधाधुंध विकास के नाम पर नदियों का नाश हो रहा है। ये मानव सभ्यता पर खतरा है। ग्रामीण गौरीशंकर मतवाला का कहना था कि बालू के लगातार उठाव के कारण गेरुआ की स्थिति मरणासन्न हो गयी। इसको पुनः जिंदा करने के लिये सरकार और समाज दोनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। 80 वर्षीय राम प्रसाद सिंह ने बताया कि बीस पच्चीस वर्ष पहले गेरुआ में सालों भर पानी रहता था। खेती पशुपालन सब आसान था। नदी से सुलभ सिंचाई के अभाव में आजकल खेती महंगी हो गई है। अजय भारती का कहना था कि पहले जब नदी जिंदा था जीवन आसान था। सबको इस नदी के महत्व को समझना होगा तथा इसे बचाने के लिये अपना योगदान देना होगा। अनिरुद्ध प्रसाद सिंह और महिंदर प्रसाद सिंह ने बताया कि 1967 में ऐसा पानी आया था कि बांध टूट गया था। 1995- 96 में भी बहुत ही अच्छी बाढ़ आई थी। बालू नदी का सुरक्षा कवच था, इसी बालू की लूट हो गई और नदी मरणासन्न हो गई। हीरा देवी का कहना था कि महिलाओं को जल संकट का सामना सबसे अधिक है। नदी से पानी खत्म होने के कारण कुआं और चापाकल भी फेल हो गए। ओमशंकर चौहान ने कहा कि इस मामले को लेकर 2010 में सैकड़ो लोग प्रखंड कार्यालय का घेराव किये थे। ताकि नदी बच सके लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। महियामा भुडिया पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि राजकुमार मण्डल ने पानी बचाने और जल संरक्षण कर पानी कज लेयर को ऊपर उठाने का अपील किया। नगदाहा गांव के महेश रजक ने कहा कि गेरुआ नदी में हमलोग बालू हटा कर चुहांड़ी बनाकर पानी पी लेते थे। लेकिन अब पानी खत्म हो गई । नदी के साथ साथ हमारा जीवन पर भी संकट आ चुका है। नगदाहा के अनिल रजक ने संवेदनशील होते हुए कहा कि नदी के खत्म होने कारण हमारे आने वाले पीढ़ियों को बहुत दिक्कत होने वाली है। इस मौके पर प्रभात मजूमदार, मधुसूदन, गैबी साह आदि ने अपनी बात रखी। यात्रा दल बथानी, नगदाह हनवारा, काला डुमरिया, भुडिया सहित तटवर्ती गांवों में गया। उदय ने कहा कि आज विश्व जल दिवस है। हम जानते हैं कि पृथ्वी पर मात्र 3 प्रतिशत मीठा पानी है, जो उपयोग योग्य है, पीने योग्य जल तो एक प्रतिशत से भी कम बचा है। विकास के अंधी दौड़ में आज जल बिकाऊ हो गया है। जल नदी तालाब को बचाने के लिये आज समाज और सरकार सबको जल संरक्षण के लिये मिल कर काम करने की आवश्यकता है। हिन्दुस्थान समाचार/बिजय

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