सहरसा में विम्ब महोत्सव का हुआ समापन
सहरसा,02 मार्च (हि.स.)। कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार के सहयोग से बटोही, सहरसा द्वारा कलाग्राम में आयोजित दो दिवसीय विम्ब महोत्सव का समारोहपूर्वक समापन हो गया। दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में पहुंचे प्रदेश के कला संस्कृति मंत्री आलोक रंजन ने इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कराते रहने और इसमें सरकार के स्तर से मदद करने का आश्वासन दिया है। इस महोत्सव में प्रदेश के कई जिलों से पहुंचे आदिवासी कलाकारों ने अपनी कलाओं का प्रदर्शन किया।दो दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव के दूसरे दिन स्थानीय कलग्राम परिसर में बिहार के ‘जनजातीय कलारूपों के संरक्षण और भविष्य की योजनाएं’ विषय पर संगोष्ठी भी आयोजित की गई थी। फिजी में भारत के सांस्कृतिक राजनायिक रह चुके डॉ. ओम प्रकाश भारती ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बिहार में जनजातीय कलाओं के संरक्षण की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि बिहार में जनजातीय कलाओं का समय रहते संरक्षण और संवर्धन होना चाहिए। जनजातीय संस्कृति प्रकृति के संरक्षण से जुड़ी है। इस अवसर पर शोधार्थी नीतीश प्रियदर्शी, रंगकर्मी हरिशंकर गुप्ता, मीडिया शोधार्थी आरती कुमारी और अन्य लोगों ने कला और संस्कृति पर शोधपत्र भी प्रस्तुत किया। इस महोत्सव में आदिवासी जनजाति मल्हनी सुपौल से अशोक हांसदा लंगरई नृत्य, जदिया से छोटन उरांव और उसके दल ने उरांव नृत्य, धमदाहा पूर्णिया से आए जियन झरना दल ने दोंग, बाहा संथाल नृत्य की प्रस्तुति दी। वाराणसी से पहुंचे रंगकर्मी जयदेव दास ने संगोष्ठी के संयोजन के साथ पूरे महोत्सव स्थल के कला पक्ष को विन्यस्त किया।ज्ञात हो कि रविवार को इस दो दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन प्रदेश के कला संस्कृति मंत्री आलोक रंजन ने किया था। उन्होंने मधुबनी में 300 करोड़ रुपये की लागत से कला यूनिवर्सिटी की स्थापना की घोषणा की है। महोत्सव के दौरान वे कार्यक्रम स्थल पर देर तक रुके थे और आदिवासियों की कला की सराहना की थी। कार्यक्रम संयोजक प्रो. डॉ. ओमप्रकाश भारती की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा था कि ऐसे कार्यक्रमों की बदौलत कलाकारों और कलाओं के बारे में जागरूकता फैलती है। हिन्दुस्थान समाचार/अजय