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मौसम बदलने के साथ ही बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण के साथ सतर्कता जरूरी

गोपालगंज,15 मार्च(हि. स.)। सुमन हॉपिस्टल में कार्यरत डॉ कविता रानी ने सोमवार को कहा कि निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण होता है। डॉक्टर रानी ने कहा किआम तौर पर यह बीमारी बुखार या जुकाम होने के बाद ही होता है। सर्दी के मौसम में बच्चों और बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से यह बीमारी ज्यादा होती है। निमोनिया का प्रारम्भिक इलाज सीने का एक्स-रे करने के बाद क्लीनिकल तरीके से शुरू होता है। उन्होंने कहा कि निमोनिया बैक्टीरिया माइक्रो बैक्टीरिया वायरल, फंगल और पारा साइट की वजह से उत्पन्न संक्रमण की वजह से होता है। इसका संक्रमण सामुदायिक स्तर पर भी हो सकता है। डॉ कविता ने बताया कि ऐसे तो निमोनिया से बचाव का एक मात्र उपाय टीकाकरण हीं है । यह एक सांस संबंधी बीमारी है इसलिए कुछ सावधानी बरतने के बाद काफी हद तक इसके संक्रमण से बचा जा सकता है।इसके लिए नवजात एवं छोटे बच्चों के रखरखाव, खानपान एवं कपड़े पहनाने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। सर्दी के मौसम में हमेशा बच्चों को गर्म कपड़े पहनाने एवं खाने- पीने में गर्म पदार्थों का हीं इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ हीं वैसे लोगों के संपर्क से दूर रखने की आवश्यकता है जिन्हें पहले से सांस संबंधी बीमारी हो। इसके साथ बुजुर्गों सहित अन्य लोगों को भी काफी सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि बताया कि बच्चे को जन्म के पश्चात दो साल के अंदर सभी तरीके के पड़ने वाले टीके जरूर लगवाने चाहिए। इससे बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत तो होती ही है, इसके अलावा वह 12 से अधिक प्रकार की बीमारियों से भी दूर रहता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ किवता ने बताया कि निमोनिया के प्रारंभिक लक्षण सर्दी-खांसी जैसे हो सकते हैं। ज्यादातर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे जल्दी ग्रसित हो जाते हैं। जिन बच्चों को पीवीसी का टीका नहीं पड़ा है उन बच्चों को इस बीमारी की चपेट में आने की संभावना अधिक रहती है। इस बीमारी में मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द समेत अन्य परेशानी होती है। इस बीमारी को टीकाकरण से रोका जा सकता है। इसलिए, अपने बच्चों को संपूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत पीएचसी में उपलब्ध नि:शुल्क पीवीसी का टीका निश्चित रूप से लगवाए। सुमन हॉपिस्टल निदेशक डॉ विशाल कुमार ने कहा कि अचानक मौसम बदलने से अक्सर थकान, सर्दी लगना और वायरल बुखार होता है। आमतौर पर वायरल बुखार 3 से 7 दिनों तक रहता है। वायरल बुखार खुद से ही ठीक हो जाता है और आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती है। फ्लू से बचने के लिए छींकते या खांसते समय मुंह को ढंके रहना चाहिए। दरवाजा छूने, वॉशरूम में फ्लश करने या सार्वजनिक कंप्यूटर और डेस्क छूने के बाद अपने हाथ धोएं। असुरक्षित स्त्रोतों से पानी न पीएं, टाइफाइड, पीलिया, हैजा और दस्त जैसे पानी से होने वाली बीमारियों को रोकने के लिए केवल साफ पानी पीयें। बैक्टीरिया से बचने के लिए अलग से एक तौलिये का इस्तेमाल करें और नियमित रूप से सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल करें। हिंदुस्थान समाचार/अखिला

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