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टीएमबीयू में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

भागलपुर, 18 मार्च (हि.स.)। फणीश्वरनाथ रेणु के जन्म शताब्दी को लेकर टीएमबीयू के पीजी हिंदी विभाग में गुरुवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो. योगेंद्र महतो ने की। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि रेणु ने अपने साहित्य में तत्कालीन लोक जीवन को शब्दों में बांधकर संरक्षित करने की सफल कोशिश की है। उनकी रचनाओं में लोक संस्कृति, पेड़-पौधे, भाषा, रहन-सहन, आचार-विचार, पर्व-त्योहार, परम्पराएं, रीति-रिवाज के दर्शन होते हैं। जानकारों ने बताया कि रेणु का आंचलिक परिवेश स्थानीय न होकर सार्वदेशीय है। जिसमें ग्रामीणों की समस्त धड़कनें कैद हैं और वह तत्कालीन समाज का वास्तविक दर्पण है। इसके पूर्व दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. रमेश कुमार, डीएसडब्ल्यू प्रो. रामप्रवेश सिंह, प्रो. रविभूषण ने दीप प्रज्वलित किया। मौके पर ढहती दीवार एवं संवेद पुस्तक का विमोचन भी किया गया। टीएमबीयू के प्रति कुलपति प्रो रमेश कुमार ने फणीश्वरनाथ रेणु की रचना को गुनगुनाते हुए कहा कि सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है। न हाथी है न घोड़ा है वहां पैदल ही जाना है...। प्रति कुलपति की जुबान से प्रसिद्ध सिने कलाकार राजकपूर निर्देशित फिल्म तीसरी कसम के इस गाने को सुनते ही पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। उसके बाद मंच से प्रो. रमेश कुमार ने दिनकर परिसर में रेणु की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव देने की बात कही। उन्होंने कहा कि हिन्दी विभाग से प्रस्ताव मिलते ही इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इधर प्रति कुलपति प्रो. रमेश कुमार द्वारा दिनकर परिसर में साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु की प्रतिमा स्थपित करने की पहल का हिंदी विभाग के हेड प्रो. योगेंद्र समेत सभी शिक्षक, साहित्यकार और छात्र छात्राओं ने स्वागत किया है। हिन्दुस्थान समाचार/बिजय/चंदा

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