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त्रिदिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन

गया, 03 मार्च (हि.स.)। शिक्षा का मुलभुत उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम पूरा करके परीक्षा पास करना न होकर, विषयवस्तु का व्यावहारिक जीवन में प्रयोग होना चाहिए। गणित शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में केवल पारंपरिक विधि जैसे पुस्तकीय ज्ञान, रटने की प्रवृत्ति का प्रयोग न करके, छात्रों में सीखने की नई प्रक्रियाओं, चिंतन प्रक्रियाओं, नए कौशलों, क्रिटिकल चिंतन, सृजनात्मक चिंतन, प्रयोगात्मक अधिगम को बढ़ाना चाहिए। ये अहम बातें प्रारंभिक शिक्षा विभाग, एनसीईआरटी के प्रो. अनूप कुमार राजपूत ने दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के शिक्षक शिक्षा विभाग के तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के अंतिम दिन बुधवार को कही। जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मो० मुदस्सीर आलम ने बताया कि “स्कूल स्तर पर गणित शिक्षणशास्त्र एवं मूल्यांकन क्रियाओं" विषय पर कार्यशाला को भारत सरकार के पीएमएमएमएनएमटीटी योजना के तहत आयोजित किया गया है। मुख्य वक्ता के रूप में प्रो.राजपूत ने व्यावहारिक परिस्थितियों में गणित के अनुप्रयोगों का बहुत ही प्रासंगिक उदाहरण जैसे शॉपिंग में मिलने वाले छूटों का उदाहरण देते हुए प्रतिभागियों को बताया। प्रो. राजपूत ने गणित शिक्षण में मूल्यांकन पर चर्चा करते हुए कहा कि मूल्यांकन का आशय छात्रों की लेबलिंग करना नहीं है तथा विषय की अच्छी समझ हेतु छात्रों को प्रश्नों का निर्माण एवं सृजन करने का अवसर देना होना चाहिए । कार्यक्रम के दूसरे सत्र की वक्ता जोनकी बी. घोष, लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी ने गणित शिक्षण में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी एवं सॉफ्टवेयर के अनुप्रयोगों को बताया। उन्होंने कहा कि हमें तकनीकी तथा पेपर- पेंसिल अभ्यासों में संतुलन के साथ काम करना चाहिए। विभिन्न गणितीय समस्याओं के रचनात्मक समाधानों को बताते हुए उन्होंने समझाया कि शिक्षण में तकनीक एवं सम्प्रत्ययों के प्रयोग सीखने एवं दृश्यात्मक रूप में प्रभावी तरीके से प्रदर्शित करने में सहायक हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. हुकुम सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष, विज्ञान एवं गणित शिक्षा संकाय, डीन अकादमी एनआईई, एनसीईआरटी, ने सीयूएसबी में विज्ञान एवं गणित पार्क तथा हर्बल गार्डन बनाये जाने का सुझाव दिया।कार्यक्रम के तीसरे एवं अंतिम दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ पीएमएमएमएनएमटीटी योजना की नोडल ऑफिसर तथा सीयूएसबी की पूर्व डीन प्रो. रेखा अग्रवाल ने प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. अनूप कुमार राजपूत एवं प्रतिभागियों का स्वागत करके किया।वहीं, प्रोफेसर रेखा अग्रवाल ने अंतिम सत्र में अपना अध्यक्षीय सम्बोधन दिया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ तरुण कुमार त्यागी ने त्रिदिवसीय कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की।कार्यक्रम की प्रभावशीलता को जानने हेतु प्रतिभागियों से फीडबैक भी लिया गया। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम की सहसंयोजक डॉ प्रज्ञा गुप्ता ने किया। सत्र का धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के सहसंयोजक डॉ संदीप कुमार ने किया।कार्यक्रम की रिपोर्ट शोधार्थी शिबा सिंह एवं रंजन कुमार सिंह ने तैयार की। कार्यक्रम में देशभर के 23 राज्यों से लगभग 40 प्रतिभागियों जिसमें प्राध्यापक, शिक्षक एवं शोधार्थियों ने भाग लिया। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज कुमार

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