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संत रविदास गौतम बुद्ध के बाद सबसे बड़े सामाजिक क्रांतिकारी

गया, 27 फरवरी (हि.स.) ।दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्विविद्यालय ( सीयूएसबी) के हिन्दी विभाग ने साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों हेतु गठित इकाई ‘साहित्य एवं कला परिषद’ के तत्त्वावधान में संत रविदास की 644 वी जयंती के अवसर पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन शनिवार को किया। मुख्यवक्ता और डीन,भाषा और साहित्य पीठ के अध्यक्ष प्रोफेसर सुरेश चंद ने रविदास को गौतम बुद्ध के बाद भारत में सामाजिक क्रांति का विगुल फूंकने वाला सबसे बड़ा क्रांतिकारी माना। साथ ही उन्होने रविदास की कविताओं को मार्क्सवाद से जोड़ते हुए श्रम संस्कृति की महत्ता को उजागर किया। उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में पहली बार संत रविदास जयंती के आयोजन किए जाने पर हर्ष प्रकट किया। वहीं, कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत सन्त रविदास के छायाचित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई। इसके पश्चात कार्यक्रम का विषय-प्रवर्तन करते हुए हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. रामचन्द्र रजक ने रविदास की कविताओं में मिलनेवाले शास्वत मानवीय मूल्यों – सत, संतोष, सदाचार आदि गुणों - की तरफ इशारा करते हुए उनकी प्रासंगिकता पर विस्तारपूर्वक चर्चा की।डॉ. रजक ने बदलते हुए संदर्भों में निर्वैयक्तिक एवं सापेक्ष-दृष्टि से रविदास के अध्ययन की जरूरत से भी श्रोताओं को परिचित कराया। हिन्दी विभाग के सह- प्राध्यापक डॉ.रवीन्द्र कुमार पाठक ने जाति चेतना और श्रम की महत्ता पर प्रकाशा डालते हुए रविदास पर नए मदृष्टिकोण से विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया। शोधार्थी किशोर ने रविदास की रचनाओं का काव्य-पाठ किया। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/चंदा

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