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आ.भा.सा.प.ने मनायी कवि व साहित्यकार निराला की जयंती

सहरसा,17 फरवरी(हि.स.)। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के साहित्यकारों ने परिषद कार्यालय विद्यापति नगर में महान पर्व ज्ञान की देवी सरस्वती एवं साहित्यकार व कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की जयंती मनायी। कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष डाॅ जी.पी.शर्मा द्वारा सरस्वती वंदना माँ शारदे तुम्हारी पूजा करूँ मैं कैसे से हुआ। उन्होंने कहा कि निराला जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।कविता के अतिरिक्त उन्होंने उपन्यास,कहानियाँ, निबंध, आलोचना और संस्मरण भी लिखे हैं। उन्होंने परिमार्जित साहित्यिक खड़ीबोली में रचनाएँ की है।भाषा पर निराला जी का पूर्ण अधिकार था।उन्होने कहा कि हिंदी साहित्य में आज निराला ना होते तो हिंदी इतनी समृद्ध नहीं बनती। उपाध्यक्ष श्यामा नन्द लाल दास "सहर्ष "ने कहा कि वे मूलतः कवि थे और छायावाद के प्रमुख प्रवर्तकों में से एक थे।उनकी कविता में विषय की विविधता और नवीन प्रयोगों की बहुलता है।वे निराला थे और उनका काव्य भी निराला है।उन्होने हिंदी साहित्य की विष को पीकर अमृत प्रदान किया। उपस्थित साहित्यकार कुमार विक्रमादित्य ,मुर्तजा नरियारवी,एम.जेड. खाँ झंझट,अभिमन्यु कुमार तथा जितेन्द्र कुमार ने भी निराला जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाले।कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बसंतोत्सव मनाते हुए कवि गोष्ठी हुई।कवियों ने बसंत गान से दर्शकों से खूब तालियाँ बटोरी। हिन्दुस्थान समाचार/अजय/चंदा-hindusthansamachar.in

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