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राजद के कायदे से ऊपर हैं तेजप्रताप यादव

पार्टी में सुलग रहे कई सवाल, मगर मुंह खोलने को कोई तैयार नहीं लोकसभा चुनाव में राजद प्रत्याशी को हरवाकर भी बच निकले थे लालू के लाल पटना, 14 फरवरी (हि.स.)। राजद विधायक तेजप्रताप यादव ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह पर तानाशाही का इल्जाम लगाकर पहली बार पार्टी के दायरे और कायदे से बाहर नहीं गए हैं, बल्कि इसके पहले भी वह कई बार ऐसा कर चुके हैं। मगर हर बार उनपर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जगदानंद से पहले तेजप्रताप ने अपने दल के वरिष्ठतम नेता रघुवंश प्रसाद सिंह की तुलना 'एक लोटा पानी' से की थी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामचंद्र पूर्वे को भी सार्वजनिक तौर पर कई बार खरी-खोटी सुना चुके हैं। यहां तक कि लोकसभा चुनाव में राजद के खिलाफ प्रत्याशी उतार दिया था। प्रचार भी किया। फिर भी पार्टी ने उनके खिलाफ कभी कार्रवाई की जरूरत नहीं समझी। तेजप्रताप के तेवर की पुरानी फाइलें पलटी जा रही हैं। सवाल भी उछाले जा रहे हैं। भाजपा-जदयू हमलावर हैं। राजद के भीतर भी सवाल सुलग रहे हैं। हालांकि लालू परिवार के खिलाफ मुंह खोलने के लिए कोई तैयार नहीं है, लेकिन अंदर ही अंदर पूछा जा रहा है कि तेजप्रताप की जगह कोई और होता तो उसके साथ क्या सलूक होता? क्या अबतक कार्रवाई से बच पाता? लालू प्रसाद के वफादारों की पहली कतार के नेता जगदानंद के खिलाफ अगर किसी और ने मुंह खोला होता तो क्या प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद उसे उसी तरह नजरअंदाज कर देते, जैसा उन्होंने तेजप्रताप को किया है? महज तीन महीने पहले विधानसभा चुनाव में जिस तरह के आरोपों में पूर्व सांसद सीताराम यादव को राजद से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, उससे बड़ा अपराध तो लोकसभा चुनाव में तेजप्रताप ने किया था। जहानाबाद से वह अपने खास के लिए टिकट चाह रहे थे, जहां से राजद ने सुरेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया था। बात नहीं बनी तो तेजप्रताप ने राजद से अलग लालू-राबड़ी के नाम से एक मोर्चा बनाया और राजद के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ अपना प्रत्याशी उतार दिया। उन्होंने हेलीकाप्टर से प्रचार तो किया ही, राजद प्रत्याशी पर कई तरह के आरोप भी लगाए। लालू के वोट बैंक में सेंध लगाई, जिसका नतीजा हुआ कि राजद प्रत्याशी को मामूली वोटों से हार का सामना करना पड़ा। लालू प्रसाद के बाद राजद में दूसरे नंबर के नेता माने जाने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह को भी तेजप्रताप ने कभी ऐसे ही निशाने पर लिया था। रघुवंश बाबू की तुलना उन्होंने एक लोटा पानी से करते हुए कहा था कि राजद में उनके रहने या जाने से कोई फर्क नहीं पडता। तब रघुवंश बाबू काफी बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे। कुछ ही दिनों के बाद उनका निधन भी हो गया। राजद में बात भी उठी। लालू परिवार के विरोधियों ने भी मुद्दे को उछाला, लेकिन तेजप्रताप कार्रवाई के दायरे से बाहर रहे। हालांकि लालू ने रांची बुलाकर तेजप्रताप को समझाया तो बाद में उन्होंने माफी मांग ली और सफाई दी। तेजप्रताप को राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के पुत्र होने का फायदा मिलता रहा है। कोई शिकायत ही नहीं करता है, जिससे वह कार्रवाई के दायरे में नहीं आ पाते। राजद के संविधान के मुताबिक विधायक होने के कारण वह राजद के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य हैं। इस नाते उनके खिलाफ सिर्फ आलाकमान कार्रवाई कर सकता है। इसके अलावा राष्ट्रीय प्रधान महासचिव के पास भी कार्रवाई की अनुशंसा का अधिकार है, पर शर्त है कि इसके लिए कोई न कोई शिकायत करे। आश्चर्य है कि तेजप्रताप के खिलाफ पार्टी में कोई शिकायत नहीं कर पाता है। इसलिए कार्रवाई भी नहीं होती। हिन्दुस्थान समाचार/राजीव रंजन-hindusthansamachar.in

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