स्वच्छ ग्राम-हरित ग्राम विषयक सेमिनार आयोजित

seminar-organized-on-clean-village-green-village
seminar-organized-on-clean-village-green-village

दरभंगा, 25 मार्च (हि.स.)। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (एलएनमूटा) के सचिव डॉ .कन्हैया झा ने कहा कि स्वच्छता और संतुलित पर्यावरण के बिना हमारी जीवन कभी खुशहाल नहीं रह सकती है। वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण के कुछ दूरगामी दुष्प्रभाव हैं। जिसमें जल, वायु, परिवेश का दूषित होना, वनस्पतियों का विनष्ट होना तथा मानव का अनेक नये रोगों से आक्रान्त होना आदि को देखा जा सकता है। नेहरु युवा केंद्र द्वारा गुरुवार को स्वामी विवेकानन्द आदर्श युवा क्लब के तत्वावधान में आयोजित स्वच्छ ग्राम हरित ग्राम विषयक सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए डॉ.झा ने कहा कि पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए हमें सबसे पहले अपनी मुख्य जरूरत ‘जल’ को प्रदूषण से बचाना होगा। कारखानों का गंदा पानी, घरेलू, गंदा पानी, नालियों में प्रवाहित मल, सीवर लाइन का गंदा निष्कासित पानी समीपस्थ नदियों और समुद्र में गिरने से रोकना होगा। उन्होंने कहा कि कारखानों के पानी में हानिकारक रासायनिक तत्व घुले रहते हैं, जो नदियों के जल को विषाक्त कर देता है। परिणामस्वरूप जलचरों के जीवन को संकट का सामना करना पड़ता है। दूसरी ओर हम देखते हैं कि उसी प्रदूषित पानी को सिंचाई के काम में लेते हैं जिसमें उपजाऊ भूमि भी विषैली हो जाती है। उसमें उगने वाली फसलेें व सब्जियां भी पौष्टिक तत्वों से रहित हो जाती हैं। जिनके सेवन से अवशिष्ट जीवननाशी रसायन मानव शरीर में पहुंच कर खून को विषैला बना देता है। मुुख्य अतिथि प्रधानाचार्य डॉ.फूलो पासवान ने मेघालय के मावलिननोंग गांव की उदाहरण देते हुए कहा कि मावलिननोंग को 2003 से लगातार एशिया महाद्वीप के सबसे ‘स्वच्छ ग्राम’ का दर्जा मिल रहा है। डीएनए की एक ख़बर के मुताबिक मेघालय के ईस्ट-खासी हिल जिले में बसे इस गांव की आबादी महज 500 है। लेकिन इतने से लोगों ने मिलकर पूरे गांव को ‘स्वच्छता की मिसाल’ बना दिया है। उद्घाटनकर्ता नागेंद्र झा महिला महाविद्यालय की एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ.धर्मशिला गुप्ता ने पर्यावरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में असीमित प्रगति तथा नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण आज का मानव प्रकृति पर पूर्णतया विजय प्राप्त करना चाहता है। हिन्दुस्थान समाचार/मनोज

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in