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धरोहरों के संरक्षण का संकल्प आवश्यक : प्रो अग्रवाल

दरभंगा, 18 अप्रैल (हि.स.)। आजकल लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। जबकि हरेक व्यक्ति के लिए अपने मूल के बारे मे जानना तथा अपने अतीत से जुड़े रहना आवश्यक होता है। जिसके लिए अपनी समृद्ध संस्कृति और विरासत को जानने और बचाने का काम हमे सतत करना चाहिए। इंडियन नेशनल ट्रस्ट फ़ॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज ( इंटेक) ,दरभंगा चैप्टर के संयोजक सह ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के आईक्यूएसी के निदेशक प्रोफेसर नवीन कुमार अग्रवाल ने विश्व विरासत दिवस के अवसर पर यह बातें कही। उन्होंने कहा कि भारत, धरोहर स्थलों की अधिकतम संख्या वाला विश्व का छठवां देश है। यहां यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त 30 सांस्कृतिक स्थल, सात प्राकृतिक स्थल और एक मिश्रित है। बिहार का नालंदा महाविहार (नालंदा विश्वविद्यालय) इस सूची में शामिल है। लिहाजा आज के दिन हमे अपने धरोहरों के संरक्षण का संकल्प लेना चाहिए। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस विश्व मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवम सांस्कृतिक संगठन ( यूनेस्को) द्वारा घोषित यह दिवस 1984 से मनाया जाता रहा है। यूनेस्को को 192 सदस्य देश, सात सहयोगी देश और दो पर्यवेक्षक देश ये दिवस मनाते हैं। संस्कृति के बारे में जानकारी / जागरूकता फैलाने के लिए यूनेस्को ने इस दिवस को मनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यूनेस्को के 22 वे सामान्य सम्मेलन के अवसर पर ये निर्णय लिया गया। वर्ल्ड हेरिटेज कन्वेंशन (1972) में कहा गया है: "सांस्कृतिक या प्राकृतिक विरासत की किसी भी चीज के बिगड़ने या गायब होने से दुनिया के सभी देशों की विरासत का हानिकारक नुकसान होता है"। हालांकि, मान्यता, व्याख्या और अंततः, विभिन्न सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के संरक्षण में असंतुलन मौजूद है। 1982 में, यूनेस्को के जनरल कॉन्फ्रेंस ने 18 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में स्मारकों और साइटों के लिए स्थापित किया, कई देशों में इसे हेरिटेज दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को वैश्विक स्तर पर आइकोमास द्वारा बढ़ावा दिया गया है। विश्व विरासत दिवस 2021 का थीम है: काम्प्लेक्स पॉट्स: डाइवर्स फ्यूचर। यह विषय सभी धर्मों के लोगो को अपने मतभेदों को परे रखते हुए एकजुट होने और एकजुटता का संदेश देने का काम करेगा। भारतीय संविधान का भी अनुच्छेद 51 के अनुसार " यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह अपनी समृद्ध मिश्रित सांस्कृतिक विरासत का सम्मान और संरक्षण करें। हिन्दुस्थान समाचार/मनोज

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