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पूरनमल बाजोरिया शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय नरगाकोठी में प्रांतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन

भागलपुर, 25 फरवरी (हि.स.)। पूरनमल बाजोरिया शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय नरगाकोठी के प्रांगण में आयोजित प्रांतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन का उद्घाटन गुरुवार को मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति रंजीत कुमार वर्मा, विद्या भारती के राष्ट्रीय मंत्री शिव कुमार जी , प्रांत प्रचारक राणा प्रताप जी, दक्षिण बिहार उत्तर पूर्व क्षेत्र के क्षेत्रीय संगठन मंत्री ख्याली जी एवं भारतीय शिक्षा समिति के प्रदेश सचिव प्रकाश चन्द्र जायसवाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस मौके पर रंजीत कुमार वर्मा ने कहा कि शिक्षा से व्यक्ति का निर्माण होता है। शिक्षा से समाज देश एवं अपने परिवेश को समझते हैं। पहले आपस में मिलते हैं, विचार विमर्श करते हैं, फिर उससे निकले हुए सार को क्रियान्वयन का रूप देते हैं। शिवकुमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रस्तुतीकरण किया गया है। यह नई शिक्षा नीति समाज के सामने आने पर संतुष्टि का भाव समझ में आता है। भारतीय जीवन परंपरा के आधार पर इस महामारी की चुनौती को अवसर के रूप में स्वीकार किया गया है। आज तक यह शिक्षा नीति संतोष परख है। इसमें हमारी विरासत की झलकियां, विकिरण द्योतित होता है। यह शिक्षा नीति भारत केंद्र शिक्षा होगी। शिक्षण कौशल के आधार पर हमने अपने कुछ मानक तैयार किए हैं बहुत सी बातें स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि 68 वर्ष के कालखंड में हमने बहुत कुछ तय किया है। विद्या भारती में प्राचीन गुरुकुल पद्धति की झलक आती है। शिक्षा नीति ने हमें अवसर प्राप्त किया है। ईमानदारी के साथ पूर्ण समर्पण के साथ लगे रहिए हमारा लक्ष्य निश्चित रूप से ईश्वर पूर्ण करेंगे। छोटे बच्चे देव तुल्य होते हैं। उसके अंदर की जिज्ञासा को अभिभावक एवं आचार्यों के द्वारा दूर करने का प्रयास करना चाहिए। प्रश्नों के समाधान से वह स्वीकार करेगा अन्यथा प्रतिकार करेगा। विषय का ज्ञान करा देना विकास का पूर्ण आधार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि परमतत्व की दृष्टि से विचार करने वाला विकास होना चाहिए। परीक्षा पास कर डिग्री प्राप्त करना शिक्षा नहीं है। जो पूर्णत्व को प्राप्त करता है, वह विवेक है। राणा प्रताप प्रांत प्रचारक ने कहा संघ का केंद्र बिंदु है व्यक्ति निर्माण। व्यक्ति निर्माण करते हुए संगठन खड़ा कर भारत को स्वतंत्र करना है। प्रत्येक हृदय में राम मंदिर बनना चाहिए, तभी राष्ट्र मंदिर का निर्माण होगा।सभी व्यक्ति को राम में होना होगा तभी रामराज्य स्थापित होगा। संपूर्ण देश को राममय संघ में बनाने की जरूरत है। समाज संघ में हो जाए हमें ऐसे कार्य करना चाहिए। शब्द ब्रह्म शब्द का संस्कार होता है। अतः घर समाज में जो विद्या भारती द्वारा सामाजिक चेतना जलाया जाता है, उसे पूर्णता प्रदान करना है। पारिवारिक सामाजिक आत्मीय भाव से संगठन को आगे बढ़ाना है। हिन्दुस्थान समाचार/बिजय

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