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प्रवीण परिमल कविता के व्याकरण में सिद्ध हस्ताक्षर

गया, 27 फरवरी (हि.स.) । गया जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन भवन स्थित डॉ मंजु करण सांस्कृतिक सभागार में प्रवीण परिमल की नव- प्रकाशित तीसरी काव्य पुस्तक प्रेम का रंग नीला पर चर्चा-गोष्ठी का आयोजन शुक्रवार की रात किया गया। जिसकी अध्यक्षता सम्मेलन के सभापति सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र व संचालन महामंत्री सुमन्त ने किया। उप सभापति अरुण हरलीवाल ने सर्वप्रथम आगत अतिथियों का स्वागत किया, साथ ही काव्य पुस्तक प्रेम का रंग नीला पर चर्चा के लिए विषय प्रवर्तन भी किया। कवि प्रवीण परिमल ने प्रेम का रंग नीला से तीन प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया। गोष्ठी में डॉ.रामकृष्ण ने कहा कि प्रवीण परिमल की छन्दोबद्ध और छंदमुक्त दोनों तरह की कविताएँ प्रभावी बिम्बों से सम्पन्न हैं। डॉ राम सिंहासन सिंह ने उनकी कविताओं में काव्यत्मकता, मनोवैज्ञानिकता और दार्शनिकता को इंगित किया। डॉ सच्चिदानन्द प्रेमी ने कहा कि परिमल जी कविता के व्याकरण में एक सिद्ध हस्ताक्षर हैं। कृष्ण कुमार ने कहा कि परिमल की ये कविताएँ हमारे कविता समय की एकरसता को तोड़ने में सक्षम हैं। राजीव रंजन ने कहा कि प्रेम कविता लिखते हुए कोमल भावों की मौलिकता और सहजता बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। प्रवीणजी इस कला में प्रवीण हैं। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में जनकवि सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र ने प्रवीण जी की प्रस्तुत कविताओं को उनके भोगे हुए जीवन का हिस्सा और किस्सा माना। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/चंदा

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