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केवीके के जरिए मशरूम उत्पादन को लेकर लोगों का दिया जा रहा प्रशिक्षण

भागलपुर, 18 फरवरी (हि.स.)।जिले सहित सूबे के किसान कृषि विज्ञान केन्द्र आकर मशरूम उत्पादन का प्रायोगिक ज्ञान प्राप्त कर इस ज्ञान के आधार पर मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। कम लागत में मशरूम की प्रत्यक्ष इकाई इन दिनों किसानों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। देश का सर्वश्रेष्ठ और जिले का गौरव केवीके में समय समय आयोजित होने वाले मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों के द्वारा प्रायोगिक कार्य में मशरूम बैग अपने हाथों से तैयार करवाया जाता है। इस बाबत केंन्द्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ विनोद कुमार ने बताया कि मशरूम उत्पादन के हर चरण का प्रायोगिक कराया जाए तो इसमें लगभग एक माह का समय लगता है। यह इकाई दो या पांच दिन के प्रशिक्षण में भी हर चरण का प्रायोगिकी सुनिश्चित करता है।यहां हर चरण के योग्य बैग होता है। बीज कक्ष ही नहीं वरन फसल कक्ष, प्रबंधन, मशरूम तुड़ाई नई प्रबंधन का भी प्रायोगिक सुगम रूप से हो जाता है। मशरूम का बीज उत्पादन कर किसान उद्यमी बन सकते हैं और उद्योग स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए केंद्र से किसानों युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।कभी-कभी ऐसे भी किसान महिला युवा प्रवासी मजदुर केंन्द्र पर आते हैं जो कि मशरूम उत्पादन का ज्ञान तो लेना चाहते हैं, लेकिन प्रशिक्षण में भाग नहीं ले पाते हैं। केंन्द्र में मशरूम का बीज उत्पादन का प्रशिक्षण प्राप्त कर किसान, युवक स्वरोजगार कर सकते हैं। सबौर के प्रगतिशील किसान स्वर्ण संध्या भारती बताती हैं कि ओएस्टर एवं बटन मशरूम का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार किया जा सकता है। खासकर महिलाएं इसमें आगे आएं और प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार अपनाए। इससे फायदा ही फायदा होगा। हिन्दुस्थान समाचार/बिजय-hindusthansamachar.in

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