कोरोना जैसी बीमारी पूरे विश्व में कभी किसी ने नहीं देखी: नरेंद्र ठाकुर
-क्षेत्र प्रचारक ने कहा-कोरोना के संकट काल में सभी तरह की सेवाएं संघ के स्वयंसेवकों ने की -‘संवाद दर्शन’ के कोरोना सेवा विशेषांक का विमोचन कार्यक्रम संपन्न पटना, 13 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय सह-प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर ने संवाद दर्शन के कोरोना सेवा विशेषांक के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बुधवार को कहा कि कोरोना जैसी बीमारी पूरे विश्व में कभी किसी ने नहीं देखी होगी। नरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि एक से एक भयंकर बीमारी का सामना पहले किया गया था। लेकिन, ऐसी बीमारी जिसमें स्वयं को बचाये रखने का खतरा सर्वाधिक था, किसी ने नहीं देखा। इसमें कोई सामने नहीं आ रहा था। स्वयं को बचाते हुए दूसरों की सहायता कैसे की जा सकती है, इसका उदाहरण स्वयंसेवकों ने दिखाया। नरेन्द्र ठाकुर ने कहा कि प्रारंभ के 10-15 दिन तक किंकर्तव्यविमुढ़ता की स्थिति थी। धीरे-धीरे सेवा के लिए समाज के बंधु सामने आने लगे। लगभग 25 प्रकार की अलग-अलग सेवाएं समाज द्वारा की गयी। पहले सबसे बड़ी समस्या लॉकडाउन के कारण फंसे हुए लोगों को निकालना था। इसके बाद लोगों के राशन की व्यवस्था करनी थी। संघ के स्वयंसेवकों ने कई स्थानों पर हेल्पलाइन नंबर जारी किये। इससे समाज के लोगों के बीच एक आत्मविश्वास का माहौल बना। दिल्ली में उत्तर-पश्चिम (पूर्वांचल) के लोगों के लिए यह हेल्पलाइन जीवन-रेखा बन गयी थी। एक से दो घंटे के अंदर त्वरित सहायता पहुंचने लगी थी। विश्व की सबसे बड़ी स्लम धारावी में स्वयंसेवकों ने एक दिन के अंदर 10 हजार से अधिक लोगों का कोरोना टेस्ट कर दिया। नासिक में कोरोना के कारण मृत लोगों के अंतिम संस्कार का कार्य स्वयंसेवकों ने किया। प्रियजन और प्रशासन के लोगों ने भी जब अंतिम संस्कार करने से हाथ खड़े कर दिये तो स्वयंसेवकों ने यह कार्य करने का बीड़ा उठाया था। ‘संवाद दर्शन’ के कोरोना सेवा विशेषांक की चर्चा करते हुए आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर ने कहा कि इस कोरोना के संकट काल में सभी तरह की सेवाएं संघ के स्वयंसेवकों ने की। केवल मनुष्य ही नहीं अपितु पशु-पक्षियों की भी चिंता की गयी। दरभंगा में गौवंश के लिए चारे का प्रबंध किया, तो कई स्थानों पर प्रशासन के लोगों के लिए अल्पाहार की भी व्यवस्था की गयी। बाहर से आये श्रमिकों के लिए समाज के साथ मिलकर स्वयंसेवकों ने जगह-जगह राहत केन्द्र शुरु किये। इन श्रमिकों के लिए यह केन्द्र बड़े ही सहायता के केन्द्र थे। यह विशेषांक पानी के बाहर दिखने वाली बर्फ की सिल्ली की तरह है। सिर्फ कुछ उदाहरणों का यहां संकलन किया गया है। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन संस्था के अध्यक्ष प्रकाश नारायण सिंह उपाख्य छोटे बाबू ने किया। हिन्दुस्थान समाचार/गोविन्द-hindusthansamachar.in