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दिनकर जी के जनपद में लगातार तैयार हो रहे है रंगकर्म के नये पौधे

बेगूसराय, 07 फरवरी (हि.स.)। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि और बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की कर्मभूमि बेगूसराय ना केवल साहित्य, उद्योग, कला और खेल की नर्सरी के रूप में चर्चित है। बल्कि यहां के रंग कर्मियों ने कला कौशल के बदौलत राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है, सम्मान हासिल किया हैं। आधे दर्जन संस्थाएं रंगकर्म के नई पौधे तैयार करने में जुटे रहते हैं, इसी कड़ी में एक नाम है बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसायटी। जिससे जुड़े बाल कलाकारों का चयन लगातार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के संस्कार रंगशाला आदि में हो रहा है। इसके माध्यम से 50 से अधिक बच्चे प्रत्येक साल रंगकर्म की कला सीख रहे हैं। वर्तमान में भी यहां 20 दिवसीय रंग कार्यशाला चल रही है, जिसके माध्यम से बच्चे प्रस्तुति परक कला के गूढ़ रहस्य सीख रहे हैं। गांव-कस्बे में रह रहे बच्चे को रंगमंच के क्षेत्र में जोड़ने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया है। धीरे-धीरे बाल रंगमंच से लगातार बच्चे जुड़ रहे हैं और आने वाले समय में बाल रंगमंच सांस्कृतिक गतिविधि में अपना अहम योगदान देने में सफल दिख रहे है। इससे पूर्व में भी बाल रंगमंच के द्वारा देश स्तर के कलाकारों के द्वारा प्रशिक्षण दिया जा चुका है। बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी बरौनी के द्वारा मध्य विद्यालय बीहट में आयोजित बीस दिवसीय प्रस्तुति परक नाट्य कार्यशाला में अलग-अलग गांव से बच्चे आकर नाटक के माध्यम से अपनी कला को परख रहे हैं। जिससे अपनी जीवन शैली के साथ-साथ खुद हो बेहतर बनाने में लगे हैं। इस तरह के अवसर प्रदान करने में बच्चों के लिए बाल रंगमंच मिल का पत्थर साबित हो रही है। कॉपी-किताब और भड़े बैग से परेशान बच्चे खेल-खेल में आपस में सीखने-सिखाने का रहस्य जान रहे हैं। एनएसडी पासआउट छात्र श्याम कुमार सहनी एवं एमपीएसडी पासआउट छात्र रवि वर्मा पिछले सात दिनों से रिदम के साथ बॉडी मूवमेंट, एक्सरसाइज, वॉइस एक्सरसाइज, परिवेश अवलोकन, हैप्पी मोमेंट, इमोशनल मोमेंट, कहानी पढ़ना और कहानी की दृश्य परिकल्पना, अभिनय तथा चित्रकला के साथ-साथ प्रस्तुति मंच तैयार करना सिखा रहे हैं। प्रशिक्षण ले रही आंचल कुमारी, साक्षी कुमारी एवं विजेंद्र कुमार ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान उनलोगों को नई-नई चीज की जानकारी मिल रही है जो बहुत ही बड़ी बात है। बाल कलाकार ऋषि कुमार, कुणाल कुमार, रोहित कुमार आदि भी नई-नई चीजों को सीखकर काफी उत्साहित हैं तथा इनका रुझान रंगमंच की ओर गहराई सेे बढ़ रही है। बाल रंगमंच के अध्यक्ष राहत रंजन एवं सचिव रंगकर्मी ऋषिकेश कुमार ने बताया कि बीस दिवसीय नाट्य कार्यशाला में 35 बच्चों को मुफ्त में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हमारा उद्देश्य है लगातार रंगकर्म की नई पौधे तैयार करना ताकि बेगूसराय ने अब तक रंग कला में जो अपनी पहचाान बनाई है वह पिढ़़ी लगातार तैयार होती रहे, हमारे कलाकार देश-दुनिया में बेगूसराय और बिहार का नाम रौशन करते रहें। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र/चंदा-hindusthansamachar.in

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