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नई शिक्षा नीति आधुनिकता और आध्यात्मिकता का अनोखा संगम

गया, 18 फरवरी (हि.स.) । राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) - 2020 में कई अनूठे तथ्य शामिल हैं। जिससे भविष्य में काफी सकारात्मक एवं दुर्गामी परिणाम हासिल होंगे।नई शिक्षा नीति की अगर बात करें तो स्वतन्त्र भारत में पहली बार हमें शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिकता और परम्परागतता का अनोखे संगम देखने को मिलता है। जिसके माध्यम से हम भारत को पुन: विश्वगुरु के रूप में स्थापित कर सकते हैं। ये बातें दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) के कुलपति प्रोफेसर हरिश्चंद्र सिंह राठौर ने विवि के स्कूल ऑफ एजुकेशन (शिक्षा पीठ) द्वारा गुरुवार को आयोजित कार्यशाला में कही। जन संपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मो. मुदस्सीर आलम ने बताया कि शिक्षा पीठ द्वारा 'फ्यूचर टीचर एजुकेशन प्रोग्राम इन इंडिया' विषय तीन - दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन शिक्षा मन्त्रालय, नई दिल्ली द्वारा अनुमोदित पंडित मदन मोहन मालवीय नेशनल मिशन ऑन टीचर एंड टीचिंग योज़ना के तत्वाधान में किया जा रहा है। कुलपति ने प्रो.राठौर तीन दिवसीय संगोष्ठी के प्रथम दिन मुख्य वक्ता के रूप में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े प्रतिभागियों से नई शिक्षा निति के पहलुओं को साझा किया। उन्होंने अपने सम्बोधन में शिक्षक-शिक्षा के चार वर्षीय कार्यक्रम (इंटीग्रेटेड बीए बीएड / बीएससी बीएड) की उपादेयता एवं प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।प्रोफेसर राठौर ने कहा कि नित्य परिवर्तित हो रही वैश्विक परिद्रश्य की परिथितियों के अनुकूल शिक्षक-शिक्षा कार्यक्रम को सामंजस्यपूर्ण बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया किस प्रकार नई शिक्षा नीति-2020 मालवीय जी का दर्शन भौतिकता व आधुनिकता तथा आध्यात्मिकता पर आधारित है।जिसके माध्यम से बहुमुखी व्यक्तित्व के शिक्षकों को आसानी से तैयार किया जा सकता है। प्रो. राठौर ने बताया कि नैतिक मूल्य, सामाजिक उत्थान और मनोवैज्ञानिक चिन्तन को शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम में समान महत्व दिया जाना चाहिए। वक्ताओं के संबोधन से पहले औपचारिक उद्घाटन के पश्चात् कार्यक्रम के सह-समनवयक डॉ. प्रज्ञा गुप्ता, सहायक प्राध्यापक, शिक्षक शिक्षा विभाग, सीयूएसबी ने भारत में भावी शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम के विभिन्न आयामों एवं बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। इसके पश्चात प्रोफेसर कौशल किशोर, विभागाध्यक्ष शिक्षक-शिक्षा विभाग एवं अधिष्ठाता, शिक्षापीठ ने मुख्य वक्ता, मुख्य अतिथि और कार्यक्रम में प्रतिभागिता ले रहे 17 राज्यों के सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के मुख्य अथिति प्रो. नवल किशोर अम्बष्ट, प्रो-वाईस चांसलर, आई.ए.एस.ई. डीम्ड यूनिवर्सिटी, राजस्थान ने अपने उद्बोधन में कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से प्रस्तावित शिक्षक शिक्षा का चार वर्षीय कार्यक्रम शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।इसके माध्यम से हम 21वी सदी की मांगों एवं आवश्कताओं के अनुरूप ज्ञान एवं तकनीकी की विधाओं से युक्त दक्ष व कुशल शिक्षकों को तैयार कर सकते हैं। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/चंदा-hindusthansamachar.in

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