Most schools are not getting the benefit of Nal Jal Yojana
Most schools are not getting the benefit of Nal Jal Yojana

अधिकतर विद्यालयों को नहीं मिल रहा नल जल योजना का लाभ

भागलपुर, 08 जनवरी (हि.स.)। राज्य सरकार के निर्देशानुसार राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों व आंगनबाड़ी केंद्रों में पीने, भोजन बनाने व शौचालय के प्रयोग के लिए मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना अंतर्गत हर घर नल का जल के तहत पानी का कनेक्शन किया जाना है। बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के पत्र के आलोक में विद्यालयों में पेयजल कनेक्शन के लिए जिला द्वारा पत्र भी निकाला जा चुका है। लेकिन भागलपुर जिले के गोराडीह, जगदीशपुर, नाथनगर, सन्हौला सहित कई प्रखंडों में यह कार्य कछुआ की गति से हो रहा है। बता दें कि सन्हौला प्रखंड में 72 प्राथमिक विद्यालय, 71 मध्य विद्यालय व 219 आंगनवाड़ी केंद्र हैं जहां राज्य सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सात निश्चय योजना के तहत नल जल योजना से जलापूर्ति की जानी है। सन्हौला प्रखंड के अधिकतर विद्यालय पेयजल कनेक्शन से वंचित हैं। प्रखंड के पूर्वी क्षेत्र के केवल 4 विद्यालयों में ही अभी तक कनेक्शन किया गया है। अगर इसी रफ्तार से कार्य होगा तो 6 महीने बाद भी सभी विद्यालय पेयजल से आच्छादित नहीं हो पाएंगे। जबकि राज्य के पत्र के अनुसार आगामी 19 जनवरी तक सभी विद्यालयों व आंगनबाड़ी केंद्रों में पेयजल का कनेक्शन किया जाना है। इस संबंध में जब सन्हौला प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी मुर्शिद अंसारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सन्हौला प्रखंड के लगभग 70 फीसदी विद्यालयों में पेयजल कनेक्शन हो चुका है। लेकिन जब इसका जायजा लिया गया तो पता चला कि धरातल पर अधिकतर विद्यालय पेयजल कनेक्शन से वंचित हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार केवल हवा—हवाई कार्य होता है। इस संबंध में विभिन्न विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने बातचीत के दौरान कहा कि वार्ड सदस्य और पंचायत के मुखिया को कहने पर वे इस पर तनिक भी ध्यान नहीं देते हैं। कई प्रधानाध्यापकों ने कहा कि संबंधित वार्ड सदस्य स्पष्ट रूप से जवाब देते हैं कि मेरे पास इसकी कोई सूचना नहीं है और जो राशि दी गई थी वह लगभग खर्च हो चुकी है। अगर राशि आएगी तो कार्य करेंगे। विदित हो कि प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय में 5-5 व मध्य विद्यालय में 7-7 नल लगाये जाने हैं। साथ ही साथ प्राथमिक विद्यालय में 2 एवं मध्य विद्यालय में 3 पानी टंकियां भी लगाई जानी हैं, जिनमें 1 टंकी शौचालय व अन्य टंकियों का पेयजल व एमडीएम के लिए उपयोग किया जाना है। दरअसल पेयजल की उचित व्यवस्था नहीं होने से दूषित जल के प्रयोग से बच्चों में संक्रामक बीमारियों के खतरे को कम करने के लिए सरकार द्वारा यह ड्रीम प्रोजेक्ट है लेकिन धरातल पर अभी तक अधिकतर विद्यालय इससे वंचित हैं। हिन्दुस्थान समाचार/बिजय/हिमांशु शेखर-hindusthansamachar.in

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