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आर्थिक रूप से कमजोर गन्ना किसानों को मिल प्रबंधन दे रहा है उत्तम प्रभेद के बीज व खाद

गोपालगंज,25 फरवरी(हि.स.)। गन्ना की खेती को लेकर जिले को गंन्नाचल के नाम से जाना जाता है लेकिन, इस वर्ष बाढ़ ने गन्ना किसानों की कमर तोड़ दी है। गन्ना के फसल बर्वाद होने के नाम पर किसानों काे एक रूपए भी मुआवजा सरकार की ओर से नहीं मिलता। जिले के लगभग एक लाख किसान के परिवार गन्ना की खेती पर निर्भर है। गन्ना बेंच कर किसान बेटी की शादी से लेकर बच्चों को पढ़ाने तक का काम करते है लेकिन इस वर्ष बाढ़ से फसल चौपट हो गई। जो फसल बची उसकी भी वाजिब कीमत नहीं मिली।विष्णु सुगर मिल प्रबंधन से उत्तम प्रभेद के बीज व खाद दादनी पर लेकर पिछले वर्ष की क्षति को पूरा करने में लगे हुए है। वहीं अधिक खेती करने के लिए किसानों को मिल जागरूक कर रहा है। जिले के तीन चीनी मिल भी गन्ना के अभाव में कम दिन ही चलें। लक्ष्य से आधे से भी कम गन्ना की पेराई की है। मिल प्रबंधकों का कहना है कि ऐसी आर्थिक मार कभी भी मिल ने नहीं देखा था।फिर भी किसानों का भुगतान 70 प्रतिशत तक किया जा चुका है। जिले की आधी आबादी दियारा क्षेत्र में गन्ना की खेती करती है। विष्णु सुगर मिल प्रबंधन ने किसानों को गन्ना की खेती करने के लिए उत्तम प्रभेद एवं खाद देकर किसानों का प्रोत्साहित करने में लगा हुआ है। मिल प्रबंधक पीआरएस पाणिकर ने बताया कि बाढ़ का पानी खेतों में अधिक दिन रहने के कारण फसल की गुणवता खराब होने के कारण चीनी की रिकवरी भी कम रही। जिसके कारण किसानों के साथ साथ मिल को भी आर्थिक क्षति हुई है। उन्होंने बताया कि जब किसान खुशहाल रहेंगे तभी मिल चलेगा। बाढ़ से गन्ना की फसल खराब होने के स्थिति में मिल ने दादनी के तौर पर उत्तम प्रभेद के बीज और खाद दियारा के किसानों को दिया जा रहा है। जिससे वे अपनी खेती कर सकें। इसके साथ ही उन्हें गन्ना की खेती करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। गन्ना ही एक ऐसा उपफसल है जिससे किसानों से लेकर मिल में कार्य कर रहे लोगों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 19-20 का गन्ना किसानों का शतप्रतिशत भुगतान कर दिया गया है। वर्ष 20-21 में 70 प्रतिशत भुगतान किया गया है,बाकी चीनी बेंच कर किसानों को किया जाएगा। गंडक नदी के किनारों पर अभी भी कई खेतों में पानी भरा है, जिसमें गन्ने की फसल सूखी हुई खड़ी दिखती है। किसान इस इंतजार में हैं कि खेत कब सूखे तो गन्ने की तैयारी करें। कभी गन्ने की खेती ज्यादा होती थी, जो चीनी मिलें पहले चलती थीं, वह धीरे-धीरे बंद होती चली गईं। किसानों का भुगतान सालों लटकने लगा तो किसान उससे दूर भागने लगे। दो चीनी मिल चालू है। जबकि दो चीनी मिल बंद हो गए। हिंदुस्थान समाचार/ अखिलानन्द/चंदा

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