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कुपोषण शिशुओं के सर्वांगीण विकास में बाधक

छपरा,10 मार्च (हिस)। कुपोषण शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य में बाधक होने के साथ उनके जीवन के सर्वांगीण विकास में सबसे बड़ा अवरोधक होता है। जन्म के बाद शुरुआती दो साल की अवधि में शिशुओं को प्रदान की गई बेहतर पोषण ही भविष्य में उनके स्वस्थ जीवन की आधारशिला तैयार करती है, जिसमें छह माह तक केवल स्तनपान एवं छह माह के बाद पूरक आहार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। सुपोषित बच्चे के लिए पूरक आहार ही उनके स्वस्थ जीवन की कुंजी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार सारण जिले में 45.0 प्रतिशत शिशु ही ऐसे हैं, जिन्हें पहले छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराया जाता है। साथ ही, 6 से 8 माह तक के 58.7 प्रतिशत शिशु हैं, जिन्हें मां के दूध के साथ ऊपरी आहार प्राप्त होता है। जिले में 6-23 माह के मात्र 7.1 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें मां के दूध के साथ साथ समुचित आहार प्राप्त होता है। आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी बंदना पांडेय ने बताया बच्चों में कुपोषण की वजह से बौनापन (स्टंटिग) और अल्पवजन (वेस्टिग )से बचाव के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पोषाहार को और बेहतर ढंग से उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि शिशु के जन्म के एक घन्टे के भीतर शिशुओं को स्तनपान कराने से नवजात शिशु मृत्यु दर में 20 फीसद की कमी लायी जा सकती है। वहीं 6 माह तक सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशुओं में डायरिया से 11% एवं निमोनिया से 15% तक कम मृत्यु की संभावना होती है। 6 माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए एवं 6 माह के बाद शिशु को संपूरक आहार देना शुरू कर देना चाहिए। साथ ही शिशु के बेहतर विकास के लिए कम से कम 2 साल तक शिशु को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए। उम्र के हिसाब से ऊर्जा की आपूर्ति जरूरी विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 6 माह से 8 माह के बीच 615 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 686 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 894 किलो कैलोरी की जरूरत शिशुओं को होती है। जिसमें स्तनपान के जरिए 6 माह से 8 माह के बीच 413 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 379 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 346 किलो कैलोरी की आपूर्ति हो पाती है। बच्चों के आहार में मसला हुआ आहार , गाढे एवं सुपाच्य भोजन शामिल करना चाहिए। वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये। दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के स्वस्थ विकास में सहायक होते हैं। हिन्दुस्थान समाचार / गुड्डू/चंदा

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