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श्रद्धापूर्वक याद किए गए त्याग और देशभक्ति के प्रतीक महाराणा प्रताप

बेगूसराय, 09 मई (हि.स.)। मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन बलिदान करने वाले त्याग, वीरता और देशभक्ति के प्रतीक महाराणा प्रताप को 481वीं जयंती पर रविवार को श्रद्धा पूर्वक याद किया गया। लॉकडाउन के कारण कहीं कोई विशेष सामूहिक कार्यक्रम को आयोजित नहीं किए गए। लेकिन विभिन्न संघ-संगठनों द्वारा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जयंती मनाई गई है। अखिल भारतीय खेल संगठन क्रीड़ा भारती ने महाराणा प्रताप को उनकी जयंती पर नमन किया है। क्रीड़ा भारती के कार्यकर्ताओं ने कहा है कि 'चेतक पर चढ़ जिसने भाले से दुश्मन संघारे थे, मातृभूमि के खातिर जंगल में कई साल गुजारे थे' मां भारती के ऐसे अमर सपूत सदैव हम सब के और राष्ट्रीयता के प्रेरणा स्रोत रहेंगे। जिला मुख्यालय की पनहांस चौक स्थित बाबू वीर कुंवर सिंह पार्क में जयंती समारोह मनाया गया। मौके पर जदयू समाज सुधार सेनानी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष गौरव सिंह राणा, बाईट कम्प्यूटर के निदेशक संजय कुमार सिंह, अमरेन्द्र सिंह, प्रदीप सिंह एवं दुर्गा रजक समेत दर्जनों लोगों ने महाराणा प्रताप के तैैल चित्र पर माल्यार्पण कर नमन किया। इस अवसर पर गौरव सिंह राणा ने कहा कि महाराणा प्रताप स्वाभिमान के प्रतीक हैैं। राजमहल को त्याग जंगल-जंगल घूमकर घास की रोटी खाना स्वीकार किया, लेकिन कभी भी मुगल बादशाह अकबर की गुलामी नहीं की। बाईट कम्प्यूटर के निदेशक संजय सिंह ने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप ने अपना प्राण न्योछावर किया। उन्होंने हल्दी घाटी युद्ध में मुगल बादशाह अकबर को पराजित कियाा, इस जीत मे भामा शाह और स्वामिभक्त चेतक के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है। आज के युवााओं को इनकी जीवनी से प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं, सुखदेव सिंह समन्वय समिति द्वारा सर्वोदय नगर स्थित कार्यालय में जयंती समारोह मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता करते हुए शिक्षक नेता अमरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि आज ही के दिन 1540 में हुआ था और मृत्यु वे अपने युद्ध कौशल, राजनीतिज्ञ, धर्म एवं देश की स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व बलिदान करने को तत्पर रहने वाले महान सेनानी थे। उन्हें भारत का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी भी कहा जाता है। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र

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