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गया में निकाली गई भगवान पार्श्वनाथ की शोभा यात्रा

गया, 25 फरवरी (हि.स.) । पुण्य प्रदायिनी माघ मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर श्री 1008 चिंतामणि भगवान पार्श्वनाथ जी की वार्षिक रथ यात्रा पूरे ढोल-नगाड़े और बैंड-बाजों के साथ जैन परंपरानुसार यहां रमना रोड स्थित दिगंबर जैन मंदिर से गुरुवार को निकाली गई।रथ यात्रा बहुआर चौरा स्थित जैन मंदिर दोपहर बाद पहुंची। रथयात्रा के पूर्व जैन समाज के भक्तजनों ने भगवान पार्श्वनाथ जी का जैन मंत्रोच्चारण एवं शांति धारा के बीच महामस्ताभिषेक कर रजत नालकी पर विराजमान कराया। इसके बाद भगवान पार्श्वनाथ को सुशोभित रथ की पांडुक शिला के कमल सिंहासन पर विराजमान कराकर रथ गंतव्य स्थान की ओर रवाना हुआ। भक्तों ने रथ खींचकर अपनी श्रद्धा प्रकट की ।रथ यात्रा में पारंपरिक परिधानों से युक्त जैन भक्त भगवान के रथ को खींचकर पूरी राह अपनी श्रद्धा जताते रहे। समाज के छोटे-छोटे बच्चे धर्म ध्वजा को हाथों में लेकर भगवान पार्श्वनाथ की जय और णमोकार मंत्र का उच्चारण करते हुए आगे आगे चल रहे थे। रथयात्रा जैन मंदिर से निकलकर पानदरीबा, किरण सिनेमा,टावर चौक, शहीद रोड, बजाजा रोड, ला रोड, जीबी रोड, कोइरीबारी होते हुए बहुआर चौरा स्थित जैन मंदिर पहुंची,जहां पूरे विधि विधान से पार्श्वनाथ जी को विराजित कराया गया। रथ यात्रा में युवाओं ने दिव्य घोष बजाया जिसकी ध्वनि से पूरा मार्ग गुंजित हो गया। रथ सारथी बने मानमल नरेंद्र कुमार रथ पर सारथी बनने का सौभाग्य पटना के सकेरा निवासी मानमल नरेंद्र कुमार को मिला। धनकुबेर बनने का सौभाग्य धर्मचंद आलोक कुमार अजमेरा को मिला। जिस रास्ते से भगवान पार्श्वनाथ की रथ यात्रा गुजरी उस रास्ते पर समाज के पुरुषों एवं महिलाओं ने श्रीफल भेंट कर कपूर की आरती उतार कर आशीर्वाद प्राप्त किया। रथयात्रा को लेकर जैन समाज के लोगों में विशेष उत्साह देखा गया।समाज के लोग अपनी-अपनी दुकानें बंद रखकर रथ यात्रा में शामिल हुए। जैन समाज के धीरज जैन और रमेश जैन ने बताया कि माघ शुक्ल नवमी को बहुआर चौरा स्थित जैन मंदिर से पार्श्वनाथ जी का आगमन हुआ था।चार दिनों तक पूरे विधि विधान से पूजन के बाद त्रयोदशी तिथि को भगवान पुनः मंदिर लौट गए। रथ यात्रा को लेकर निगम प्रशासन द्वारा मार्गों की साफ सफाई की गई थी। हिन्दुस्थान समाचार/पंकज कुमार/विभाकर

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