Kisan Mahasabha burnt all three agricultural laws at the picket site in Bettiah
Kisan Mahasabha burnt all three agricultural laws at the picket site in Bettiah

बेतिया मे किसान महासभा ने धरना स्थल पर ही तीनों कृषि कानून को किया दहन

बेतिया, 13 जनवरी (हि.स.)। तीनों कृषि कानून, बिजली बिल 2020 को रद्द करने, सभी किसानों, बाटाईदार किसानों के धान एमएसपी पर यानी 1888 रूपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदने की गारंटी और गन्ना का 400 रूपये प्रति क्विंटल मूल्य घोषित करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर आज आठवें दिन भी जिला समाहरणालय गेट पर अनिश्चित कालीन धरना जारी रहा। धरना को संबोधित करते हुए किसान महासभा के जिला सचिव इन्द्र देव कुशवाहा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के लोकतांत्रिक और शांतिपूर्वक विरोध करने के अधिकार को मान्यता दी है। कोर्ट ने किसान आंदोलन के खिलाफ दायर की गई बेबुनियाद और शरारत पूर्ण याचिकाओं पर कान नहीं दिया। जिन्होंने किसानों के मोर्चे को उखाड़ने की मांग की थी। तीनों किसान विरोधी कानूनों के कार्यान्वयन पर स्टे लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करता हूं। यह आदेश हमारी इस मान्यता को पुष्ट करता है कि यह तीनों कानून असंवैधानिक है। किसान महासभा के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार राव ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं लेकिन हमने इस मामले में मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना नहीं की है और ऐसी किसी कमेटी से कोई संबंध नहीं है। चाहे यह कमेटी कोर्ट को तकनीकी राय देने के लिए बनी है या फिर किसानों और सरकार में मध्यस्थता के लिए, किसानों का इस कमेटी से कोई लेना देना नहीं है। मजदूरों के नेता रविन्द्र कुमार रवि ने धरना को संबोधित करते हुए कहा कि तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द करवाने और एमएसपी की कानूनी गारंटी हासिल करने के लिए किसानों का शांति पूर्वक एवं लोकतांत्रिक संघर्ष जारी रहेगा। हारून गद्दी ने कहा कि किसानों का इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट न जाने का उनका फैसला निश्चित ही इस आशंका से प्रेरित है कि वहां उनके साथ इंसाफ नहीं होगा।सवाल है कि आखिर सरकार किस आधार पर आश्वस्त होकर किसानों को सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दे रही है और किसान क्यों अदालती कार्यवाही का हिस्सा बनने से इंकार कर रहे हैं? हिन्दुस्थान समाचार / अमानुल-hindusthansamachar.in

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