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तलाक देकर बेटी के साथ घर से भगा दी गई कसीरन, न्याय के लिए भटक रही दर-दर

- सोती है दूसरे के दरवाजे पर, मांग कर खाती है खाना बेगूसराय, 20 फरवरी (हि.स.)।मुस्लिम महिलाओं के साथ तलाक के नाम पर होने वाले अत्याचार पर रोक लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जुलाई 2019 में तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित कर दिया। इसका कड़ाई से पालन कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया। लेकिन गिरिराज सिंह के संसदीय क्षेत्र बेगूसराय में तीन तलाक आज भी धड़ल्ले से जारी है। हालत यह है कि मुस्लिम महिलाओं को उसके शौहर छोटी-छोटी बात पर ना केवल तलाक दे रहे हैं। बल्कि किराए का मकान लेकर रहने पर भी मारपीट की जाती है। इस्लाम में शराब हराम रहने के बावजूद तलाक दे चुका शौहर किराए के मकान में घुसकर तलाकशुदा पत्नी के साथ मारपीट करता है। उसे अपने बच्चों के साथ घर से बाहर निकाल कर दूसरे के दरवाजे पर सोने और मांग कर खाने को मजबूर करता है। अपने बच्ची के साथ वह न्याय के लिए दर-दर भटकती है, लेकिन कोई उसे न्याय नहीं दिला रहा है। ऐसे ही एक महिला है कसीरन खातून। मधुबनी जिला के लौकहा थाना क्षेत्र स्थित बलुआ बाजार निवासी मरहूम ऐनुल की पुत्री कसीरन खातून का निकाह 2012 में बेगूसराय जिला के लडुआरा निवासी मो. असफाक उर्फ गब्बर के पुत्र जावेद के साथ हुआ था। जूता-चप्पल बेचकर गुजारा करने वाला जावेद अपनी पत्नी का खूब ख्याल भी रखता था, दोनों के बीच प्यार की तालमेल अच्छी चल रही थी। चार साल पहले खुशी पैदा हुई। लेकिन पुत्री खुशी के पैदा होने के बाद कसीरन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उसके सास और भैंसुर ने घर में रहना मुश्किल कर दिया। मां-भाई के कहने पर शराब के नशे में चूर होकर जावेद रोज मारपीट करने लगा। बात काफी आगे बढ़ गई और पति ने एक साल में तीन बार तलाक बोलकर उसे अपनी जिंदगी से अलग कर दिया। किराए के मकान में रहने के दौरान जमकर मारपीट की गई। कई बार पंचायत हुई, लेकिन ससुराल के जनप्रतिनिधि हमेशा उसके पति के पक्ष में ही फैसला सुनाते रहे। थक हार कर उसने दस फरवरी को बेगूसराय के महिला थाना में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई। लेकिन उसकी कोई नहीं सुन रहा है, प्रताड़ना लगातार जारी रहने के बाद शुक्रवार को जब वो फिर महिला थाना गई, तो डांट कर भगा दिया गया। कसीरन का कहना है कि उसके मां-बाप मर चुके हैं, भाई को कोई मतलब नहीं रहता है, पास में पैसा नहीं है। कितने दिन लोग अपने दरवाजे पर सोने देंगे, कितने दिन मांग कर मां-बेटी खाऊंगी, कोई तो मुझे न्याय दिलाएं। कसीरन ने बताया कि मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 के तहत तीन बार तालक बोलना अपराध माना गया है। पीड़ित महिला को अपने और आश्रित बच्चों के लिए पति से भरण-पोषण लेने का भी हक है। तीन तलाक का जिक्र ना तो कुरान में कहीं है और ना ही हदीस में। कुरान और हदीस में भी तीन तलाक को गैर इस्लामिक कहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 30 जुलाई 2019 को संसद से तीन तलाक विधेयक पास हो गया। राष्ट्रपति की सहमति के बाद तीन तलाक का विधयेक कानून बन गया। लेकिन, इसके बहाने आज भी महिलाओं का प्रताड़ना जारी है तथा पुलिस-प्रशासन सार्थक कार्रवाई नहीं कर रही है और हमारी जैसी महिलाएं जलालत झेल रही हैं। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र

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