नववर्ष के स्वागत को तैयार है काबर झील पक्षी विहार, जयमंगला गढ़ में उमड़ेगी भीड़
बेगूसराय, 30 दिसम्बर (हि.स.)। नव वर्ष के स्वागत में अब महज कुछ घंटे ही शेष रह गए हैं। बुधवार की रात 12 बजे से लोग नए साल के आगमन की खुशियां मनाने लगेंगे। इस खुशी के अवसर को भुनाने के लिए एक ओर तमाम होटलों में विशेष तैयारी की गई है तो वहीं दूसरी ओर प्राकृतिक छटा से ओत-प्रोत एशिया में मीठे पानी का सबसे बड़ा झील काबर झील एवं उसके मध्य स्थित शक्तिपीठ जयमंगलागढ़ नववर्ष में पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार हो चुका है। जिला मुख्यालय में स्थित नौलखा मंदिर युवाओं के आकर्षण का केंद्र बनता है तथा यहां एक जनवरी के दिन लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। जिसके मद्देनजर परिसर की साफ-सफाई कर दी गई है। जबकि मिथिलांचल के पावन शिवालय गढ़पुरा स्थित बाबा हरिगिरी धाम में भी विशेष तैयारी की जा चुकी है। तमाम पर्यटन स्थलों में सबसे अधिक भीड़ काबर झील और जयमंगला माता के मंदिर में उमड़ती है। यहां बेगूसराय ही नहीं, राज्य के कोने-कोने से लाखों लोग पिकनिक मनाने आते हैं। कई वर्षों के बाद काबर में पानी भरा रहने और इसे रामसर साइट घोषित किए जाने के कारण देश भर की नजर इस पर है तथा अन्य वर्षो की तुलना में यहां अधिक भीड़ उमड़ने की संभावना है। जिसके मद्देनजर प्रशासन ने आवश्यक तैयारियां करने का दावा करते हुए 27 प्वाइंट पर मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में पुलिस को लगाने की बात है। भीड़ के मद्देनजर जयमंगला माता मंदिर का गर्भगृह बंद रहेगा। वहीं, काबर झील की सैर करने वाले लोगों से भी प्रोटोकॉल के पालन की अपील की जाएगी। झील में पानी अत्यधिक रहने के कारण प्रशासन ने जाल समेत सुरक्षा के अन्य बंदोबस्त करने का भी कागजी दावा किया है। काबर के मछुवारों ने अपने नाव को दर्शकों के लोगों के लिए तैयार कर लिया है। सरकारी उपेक्षा के बाद भी कांटों के बीच अतीत की यादें परोसती काबर झील प्रत्येक वर्ष एक जनवरी को पर्यटकों को लुभाती आ रही है। इसबार भी करीब दो लाख लोगों के आने का अनुमान है। रमणीक यादें समेटे काबर झील पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों बरबस ही खींच लाती है। झील में सूर्योदय के साथ कमल खिलना, मछलियों के तैरने, पेड़-पौधों और कलरव करते देसी-विदेशी पक्षियों के झुंड, बंदरों के साथ हुड़दंग का मजा उठाना सब चाहते हैं। प्रकृति की अनुपम भेंट की संभावनाओं की प्रमाणिकता नववर्ष के अवसर पर पहुंचने वाली लाखों लोगों की भीड़ बयां करती आ रही है। प्रकृति की मनोरम छटा के बीच काबर की गोद में स्थित माता जयमंगला का मंदिर भी नये साल पर लोगों को बरबस ही खींच लाता है। जिसके संबंध में अनेकों किवंदतियां है। हिन्दू धर्मावलम्बी इसे सिद्धपीठ मानते हैं। तंत्रविद्या सिद्धि का भी यह उपयुक्त स्थली है तथा साधना के लिए मंगलवार और शनिवार के दिन उपयुक्त माना गया है। बौद्ध साहित्य के अनुसार भगवान बुद्ध परिभ्रमण क्रम में यहां 22 घंटा विश्राम किया था। इतिहासवेत्ता इसे पालवंशियों का किला बताते हैं। इससे जुड़े नौलागढ़ में राजमहल, वीरपुर-बरैपुरा में शासन केन्द्र तथा जयमंगलागढ़ में धार्मिक केन्द्र था, नावों से आवागमन का साधन था। किवदंतियों की जिज्ञासा यहां पर्यटकों को लुभाती है। वहीं, काबर का वन क्षेत्र वनभोज का लुत्फ उठाने के लिए वर्ष के पहले दिन बड़ी संख्या में पर्यटकों के पहुंचने का कारण है। हिन्दुस्थान समाचार/सुरेन्द्र-hindusthansamachar.in